भारत के पूर्व मुख्य न्यायाधीश जस्टिस जेएस खेहर ने मौजूदा समय पर बड़ी टिप्पणी की है। उन्होंने सवाल करते हुए कहा कि भारत को अगर विश्व शक्ति बनना है तो आज की दुनिया में कोई सांप्रदायिक बने रह सकता है क्या? मौजूदा दौर में चल रही चीजों को उन्होंने भारत की हितों के खिलाफ बताया। दिल्ली में एक कार्यक्रम के दौरान उन्होंने खुलकर अपनी बात रखी। पूर्व चीफ जस्टिस ने यह भी बताया कि उन्होंने अयोध्या मसले के शांतिपूर्ण समाधान पर मध्यस्थता की पेशकश क्यों की थी।
राजधानी दिल्ली में गुरुवार को पूर्व प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री मेमोरियल लेक्चर के दौरान पूर्व चीफ जस्टिस जेएस खेहर ने धर्म, धर्मनिरपेक्षता, नोटबंदी और भ्रष्टाचार जैसे तमाम मुद्दों पर अपने विचार रखे, जिनका देश सामना कर रहा है।
जस्टिस खेहर ने कहा कि आजादी के बाद भारत ने ‘पूरी तरह से धर्मनिरपेक्ष’ होने का रास्ता अख्तियार किया था। बटवारे के दौरान हिंदू और मुसलमान दोनों जबरदस्त हिंसा के शिकार हुए। आजादी मिलने के बाद जहां पाकिस्तान इस्लामिक राष्ट्र बन गया वहीं भारत ने धर्मनिरपेक्ष (सेक्युलर) होना चुना।
लाल बहादुर शास्त्री लेक्चर में उन्होंने कहा, ‘भारत जब आजाद हुआ तब सबसे बड़ी हिंसा हुई। यह ऐसी क्रूरता थी जिसे पीढ़ियां भूल नहीं सकती। लेकिन भारत में कुछ अद्भुत हुआ। जब पाकिस्तान एक इस्लामिक राष्ट्र बन गया, भारत ने धर्मनिरपेक्ष बनने का फैसला किया।
उन्होंने कहा कि, ‘भारत के नेताओं ने यह सुनिश्चित किया था कि देश में “पूर्ण धर्मनिरपेक्षता” होनी चाहिए।’ पूर्व चीफ जस्टिस ने कहा कि, ‘हम उसे भूल गए हैं। हम फिर से जैसे को तैसा के रास्ते पर चल रहे हैं।
जस्टिस खेहर ने इसलिए अयोध्या विवाद में मध्यस्थता की पेशकश की थी
खेहर ने कहा कि जब वे चीफ जस्टिस से तो उन्होंने हिंदुओं और मुसलमानों को अयोध्या विवाद का एक सौहार्दपूर्ण समाधान खोजने में मदद करने की पेशकश की थी।
उन्होंने कहा कि बीते समय में दोनों समुदायों ने बहुत दुख झेला और विभाजन के बाद उन्होंने धर्मनिरपेक्ष बने रहने का फैसला किया था। साथ ही उन्होंने कहा कि, ‘विश्व शक्ति बनने के इच्छुक देश के लिए
धर्मनिरपेक्षता जरूरी है।’ उन्होंने सवाल किया, ‘जरा सोचिए, भारत एक सेक्युलर देश है और विश्व शक्ति बनना चाहता है। अगर आपको विश्व शक्ति बनना है तो क्या आप आज की दुनिया में सांप्रदायिक बन सकते हैं?
पूर्व चीफ जस्टिस ने आगाह किया कि, ‘अगर आप इस्लामिक देशों से दोस्ती करना चाहते हैं तो आप मुस्लिम विरोधी नहीं हो सकते। अगर आप ईसाई देशों से मित्रता करना चाहते हैं तो आप ईसाई विरोध नहीं हो सकते। इसलिए आज के समय में जो कुछ भी हो रहा है वो देश के हित में नहीं है।’
उन्होंने अयोध्या समेत सभी विवादों के शांतिपूर्ण समाधान की वकालत की और कहा कि युद्ध के जरिए मुद्दों को नहीं सुलझाया जा सकता है। उन्होंने कहा, ‘भारत में संवाद दुनिया में कहीं से ज्यादा संभव है। आप देख रहे हैं कि अमेरिका आज दूसरे धर्मों के प्रति कैसा व्यवहार कर रहा है। इसलिए उन्होंने कहा कि जब वे चीफ जस्टिस थे तो उन्होंने सुझाव दिया कि अयोध्या मुद्दे की मध्यस्थता के लिए वे तैयार हैं।
उन्होंने कहा, ‘क्योंकि हम कर सकते हैं। हमने वो क्षमता है। हम इससे गुजर चुके हैं। हम इसके भुक्तभोगी हैं। दोनों समुदायों ने अपने रास्ते तय किए और हमने सेक्युलर होने का फैसला किया।
इसके बाद जस्टिस खेहर ने कहा कि बीते सालों के दौरान भारत में हुए भ्रष्टाचारों का जिक्र किया और इसे शर्मनाक बताया। उन्होंने कहा कि प्रॉपर्टी की हर बिक्री में 30-40 फीसदी कालेधन का इस्तेमाल होता है। साथ ही उन्होंने का कि इससे देश को बहुत ज्यादा नुकसान होता है।
न्यायमूर्ति खेहर का मानना था कि भ्रष्टाचार के मामलों से निपटने के लिए समाज अभी पर्याप्त परिपक्व नहीं हुआ है। उन्होंने कहा कि प्रगति की राह पर देश को वापस लाने के लिए कुछ असाधारण उपाय होना चाहिए।