पूर्व राज्यपाल सुदर्शन आज हमारे बीच नहीं हैं मगर दून की यादों में वह हमेशा जीवित रहेंगे, जानिए उनसे जुड़ी बातें

पूर्व राज्यपाल सुदर्शन अग्रवाल आज हमारे बीच नहीं हैं, मगर दून की यादों में वह हमेशा जीवित रहेंगे। दून की बेहतरी के लिए जो कुछ भी उन्होंने किया, उसके लिए यह समाज उनका हमेशा ऋणी रहेगा। खासकर उनके अथक प्रयास से ही दून में आइएमए का पहला ब्लड बैंक मिल पाया और गरीब छात्राओं के लिए खोला गया हिम ज्योति स्कूल भी उनकी ही सोच की देन है।

वह एक बेहतर कर्मयोगी रहे हैं, उनकी छवि समाज सेवक की भी रही है और सबसे बढ़कर यह कि उनका स्वभाव हमेशा ही सरल रहा। जब उन्होंने वर्ष 2003 में राज्यपाल पद की शपथ ली, तभी से वह प्रदेश की भलाई के लिए जुट गए थे। वह चाहते थे कि गरीब तबके को ऊपर उठाने के लिए हरसंभव प्रयास किए जाने चाहिए। उनसे जितना हो सकता था, वह करते थे और आज जो कुछ भी वह पीछे छोड़ गए हैं, वह अपने आप में किसी मिसाल से कम नहीं।

देहरादून आते समय एकत्रित किए पांच लाख-

वर्ष 2003 में जब सुदर्शन अग्रवाल ने उत्तराखंड के दूसरे राज्यपाल के रूप में शपथ ली तो तभी से उन्होंने उत्तराखंड के लिए कुछ बेहतर करने की ठान ली थी। उस समय राज्यपाल के सचिव रूप में उत्तराखंड के पूर्व मुख्य सचिव एन रविशंकर तैनात थे।

सुदर्शन अग्रवाल ने उन्हें बताया कि देहरादून आते समय उन्होंने परिवार के लोगों व मित्रों से पांच लाख रुपये एकत्रित किए हैं। इस राशि से वह गरीब युवाओं के लिए कुछ करना चाहते हैं। इसके बाद तय किया गया कि उच्च शिक्षा में मुकाम हासिल करने वाले मेधावी छात्रों के लिए 25 हजार रुपये की स्कॉलरशिप शुरू की जाए। फिर हिम ज्योति फाउंडेशन की स्थापना की गई और कुछ समय बाद सुदर्शन अग्रवाल की दृढ़ इच्छाशक्ति के बल पर गरीब छात्राओं के लिए निश्शुल्क शिक्षा देने वाले स्कूल का निर्माण भी कर लिया गया।

एन रविशंकर बताते हैं कि इस बार जब 10वीं व 12वीं के परिणाम आए तो स्कूल का शत प्रतिशत परिणाम देखकर सुदर्शन अग्रवाल बेहद खुश हुए थे और उन्हें लगा कि उनकी तपस्या सफल हो रही है। एन रविशंकर कहते हैं कि सुदर्शन अग्रवाल का व्यक्तित्व जितना बड़ा था, वह उतने ही सरल स्वभाव व कर्मठ प्रकृति के थे। समाजसेवा उनकी सोच में पूरी तरह रच-बस रखी थी।

समाजसेवा में सहयोग की हामी पर पकड़ लिया था हाथ- 

हिम ज्योति स्कूल के ट्रस्टी और हिम ज्योति फाउंडेशन के पहले सचिव रहे उद्यमी राकेश ओबरॉय की सुदर्शन अग्रवाल से पहली मुलाकात उनके राज्यपाल के रूप में शपथ लेने के दौरान हुई थी। उनके एक उद्यमी मित्र ने राकेश ओबरॉय को सुदर्शन अग्रवाल से मिलवाया था। साथ ही उनके सम्मुख राज्यपाल (तत्कालीन) की समाजसेवा की इच्छा भी जाहिर की थी।

राकेश ओबरॉय बताते हैं कि जब उन्होंने इस काम में सहयोग की हामी भरी तो सुदर्शन अग्रवाल ने बेहद सम्मान के साथ उनका हाथ कसकर पकड़ लिया था। यह कारवां बढ़ता गया और हिम ज्योति स्कूल की स्थापना के साथ उनका और सुदर्शन अग्रवाल का साथ और गहरा होता चला गया।

राकेश ओबरॉय रुंधे गले से पूर्व राज्यपाल को याद करते हुए कहते हैं कि वह एक बेहतर शख्श थे और हमेशा बोलने से पहले सोचते थे कि कहीं उनकी किसी बात से दूसरे का मन दुखी न हो जाए।

ब्लड बैंक की स्थापना को किए व्यक्तिगत प्रयास-

आइएमए ब्लड बैंक के महासचिव डॉ. डीडी चौधरी कहते हैं कि यह ब्लड बैंक सुदर्शन अग्रवाल की ही देन हैं। वह न सिर्फ इसके संरक्षक रहे, बल्कि उनके अथक प्रयास के बाद ही ब्लड बैंक अस्तित्व में आ पाया। ब्लड बैंक की स्थापना के लिए ओएनजीसी से जमीन दिलवाने के साथ ही निर्माण के लिए एमपी-एमएलए फंड से राशि दिलाने में भी उन्होंने व्यक्तिगत स्तर पर प्रयास किए।

डॉ. चौधरी का कहना है कि सुदर्शन अग्रवाल के दर से कोई भी फरियादी खाली हाथ नहीं लौटता था। ऐसे महान व्यक्ति का आज हमारे बीच न होना समाज के लिए अपूर्णीय क्षति है।

सुदर्शन की पहल ने दी गरीब बेटियों के जीवन को दिशा-

हर व्यक्ति अपनी दो जिंदगी जीता है। एक लोगों के बीच मौजूद रहकर और दूसरी इस दुनिया से विदा होकर अपने काम और स्मृतियों के रूप में। पूर्व राज्यपाल सुदर्शन अग्रवाल भी अपनी नेकी के लिए सदियों तक लोगों के जहन में रहेंगे। उनकी एक पहल ने गरीब घरों की बेटियों के जीवन को दिशा दी है। बल्कि यह ‘ज्योति’ आने वाले वक्त में भी कई जरूरतमंद परिवारों को रोशन करती रहेगी।

उत्तराखंड के पूर्व राज्यपाल सुदर्शन अग्रवाल ने दून में एक ऐसे स्कूल की नींव रखी, जो आज सैकड़ों परिवारों के सुनहरे भविष्य का गवाह बन समाज को गौरवान्वित कर रहा है। आर्थिक रूप से कमजोर छात्राओं के लिए स्थापित ‘हिम ज्योति स्कूल’ ने उन तमाम छोटी-छोटी आंखों को खुला आसमान समेटने की गरिमा प्रदान की है, जो कभी एक दीये की रोशनी तक को तरसती थीं। अस्थायी राजधानी देहरादून के सहस्रधारा रोड पर वर्ष 2005 में राज्यपाल रहते हुए सुदर्शन अग्रवाल ने हिम ज्योति स्कूल की शुरुआत की।

इस पहल के साथ उन्होंने राजनीति और नौकरशाही से जुड़े तमाम लोगों को संदेश भी दिया कि अच्छे उद्देश्य के लिए किसी भी पद पर रहते हुए काम किया जा सकता है। उनकी इस दूरगामी सोच और सकारात्मक समझ का नतीजा आज सबके सामने है। इस स्कूल से 12वीं पास कर 180 छात्राएं या तो देश-विदेश के नामचीन विश्वविद्यालयों में शिक्षा प्राप्त कर रही हैं या फिर अच्छे संस्थानों में नौकरी।

इस बात के मायने तब बेहद खास हो जाते हैं, जब पता लगे कि ये सभी बेटियां रिक्शा चालक, मजदूर, चपरासी, जिल्दसाज, आया, धोबी, दर्जी या दिहाड़ी मजदूरी का काम करने वाले लोगों की हैं।

हर छात्रा पर सालाना एक लाख खर्च-

निश्शुल्क शिक्षा, खाना और रहने की सुविधा देने वाले हिम च्योति स्कूल में प्रवेश का एकमात्र आधार आर्थिक है। यहां किसी भी जाति, धर्म और परिवार की बच्चियां प्रवेश परीक्षा के माध्यम से दाखिला पा सकती हैं। बशर्ते वो आर्थिक रूप से कमजोर परिवारों से हों। हिम ज्योति उन आंखों की च्योति बनकर सामने आया है, जिन्होंने सपने तक देखने छोड़ दिए थे।

मौजूदा वक्त में स्कूल में पांचवीं से 12वीं तक 280 छात्राएं शिक्षा प्राप्त कर रही हैं। छात्राओं की मानें तो यह केवल स्कूल नहीं है, बल्कि जीवन जीने की कला सीखने का केंद्र भी है। यहां विश्वास, सच्चाई और प्यार की भाषा सिखाई जाती है। छात्राओं का कहना है कि पूर्व राज्यपाल अपनी इस नेक पहल के लिए हमेशा याद किए जाएंगे।

आत्मविश्वास जगाता है यह स्कूल- 

अकादमिक स्तर की बात करें तो हिम च्योति स्कूल में सीबीएसई (केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा परिषद) पाठ्यक्रम लागू है और छात्राओं को अंग्रेजी माध्यम से शिक्षा प्रदान की जाती है। हालांकि, स्कूल में आने वाली तमाम छात्राएं सरकारी स्कूलों से होती हैं और अंग्रेजी पर उनकी पकड़ काफी कमजोर होती है। इसलिए शुरुआती वर्षों में शिक्षकों का फोकस इसी पर रहता है। छात्राओं को आधुनिकतम तकनीक के माध्यम से अंग्रेजी बोलना, पढ़ना और लिखना सिखाया जाता है।

कुछ खास उपलब्धियां- 

-स्कूल की छात्रा पूनम रावत पहले सिंगापुर और अब अमेरिका में उच्च शिक्षा ग्रहण कर रही है। अपनी काबिलियत के बूते उसे स्कॉलशिप के तहत यह मौका मिला। पूनम पौड़ी जिले के एक बेहद गरीब परिवार से ताल्लुक रखती है।

– स्कूल से पास छात्राएं अब दिल्ली के हंसराज कॉलेज, किरोड़ीमल कॉलेज, लेडी श्रीराम कॉलेज, इंद्रप्रस्थ कॉलेज जैसे संस्थानों में पढ़ रही हैं।

– स्कूल की छात्राएं एशियन यूनिवर्सिटी फॉर वुमेन चिटगांव (बांग्लादेश) में भी पढ़ रही हैं।

– स्कूल की छात्राएं आज शिक्षक, आइटी एक्सपर्ट, फिजियोथेरेपिस्ट, पब्लिक रिलेशन ऑफीसर आदि के पदों पर कार्य कर रही हैं।

सुदर्शन के रहते राजभवन रहा सांस्कृतिक कार्यक्रमों से गुलजार-

पूर्व राज्यपाल सुदर्शन अग्रवाल सामाजिक सरोकारों को लेकर खासे सक्रिय रहे। उनके कार्यकाल में राजभवन सांस्कृतिक कार्यक्रमों से गुलजार रहा।

उत्तराखंड में बतौर राज्यपाल करीब चार वर्ष के कार्यकाल में सुदर्शन अग्रवाल ने शिक्षा व सामाजिक कार्यों में खासी रुचि ली। वह रोटरी क्लब के राष्ट्रीय अध्यक्ष भी रह चुके हैं। रोटरी क्लब व अन्य संस्थाओं के माध्यम से सामाजिक कार्यों में बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया। राज्य में हिम ज्योति स्कूल की स्थापना के रूप में उन्होंने गरीब बच्चों की पढ़ाई के साथ ही कटे-फटे होंठ की समस्या से जूझ रहे बच्चों को सामान्य जिंदगी जीने में मदद करने में उनकी भूमिका अहम मानी जाती है।

पूर्व राज्यपाल सुदर्शन अग्रवाल स्कूली बच्चों के साथ उनका विशेष लगाव रहा। उनके कार्यकाल के दौरान राजभवन में सांस्कृतिक कार्यक्रमों की धूम रही। खासतौर पर स्कूली बच्चों के कार्यक्रम बड़ी संख्या में आयोजित किए गए। राज्यसभा के महासचिव रहते हुए उनकी सक्रियता को याद किया जाता है। उत्तराखंड के बाद वह सिक्किम के राज्यपाल पद पर अधिक वक्त तक रहे।

उत्तरप्रदेश के राज्यपाल के रूप में उनका कार्यकाल संक्षिप्त रहा। राजभवन के सचिव रमेश कुमार सुधांशु और राजभवन के अधिकारियों व कर्मचारियों ने सुदर्शन अग्रवाल के निधन पर शोक जताया।

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