बिहार विधानसभा चुनाव से पहले एनआरसी को लेकर हुए फैसले के कई सियासी मतलब निकाले जा रहे हैं. बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के रवैये को देखकर राजनीतिक गलियारों में ये कयास लगने कि क्या अब नीतीश बीजेपी का साथ छोड़ सकते हैं? इसपर महागठबंधन के नेताओं को बयान आना शुरू हो गया. सबसे पहले हम पार्टी के अध्यक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी का बयान आया.
मांझी ने कहा, ”कल नीतीश कुमार ने बिहार विधानसभा में जो प्रस्ताव पास कराया है इससे लगता है कि उनका स्टैंड बिल्कुल सही है. हम उन्हें धन्यवाद देते हैं. जहां तक पाला बदलने का सवाल है तो राजनीति में इधर-उधर होते रहता है. अगर इधर आते हैं तो उनका स्वागत है. मुख्यमंत्री का चेहरा इनसे बढ़कर कौन होगा. अभी बिहार के मुख्यमंत्री का सबसे बड़ा चेहरा नीतीश कुमार ही हैं. उनसे बड़ा कोई चेहरा नहीं है.”
इस बयान के बाद आरजेडी नेता और पूर्व मुख्यमंत्री राबड़ी देवी ने दो टूक कहा कि नीतीश कुमार का मन बदलेगा भी तो कुछ नहीं होगा. जेडीयू और बीजेपी का लड़ाई को हम लोग नहीं देखते हैं. दोनों किधर जाएंगे, कोई नहीं जानता है. उन्होंने कहा, ”नीतीश कुमार का मन अगर डोल भी रहा होगा तो हम लोगों का मन नहीं डोलेगा.”
बता दें कि कल बिहार विधानसभा में राबड़ी देवी और नीतीश कुमार की मुलाकात हुई थी. गुलदस्ते का आदान प्रदान भी हुआ था. इसके पीछे राबड़ी देवी ने परंपरा का हवाला दिया. यह भी संयोग ही था कि मंगलवार को नीतीश कुमार की बंद कमरे तेजस्वी यादव से मुलाकात हुई. कहा जा रहा है कि दोनों के बीच एनआरसी को लेकर बातचीत हुई.
गौरतलब है कि कल बिहार विधानसभा से ये प्रस्ताव पारित हुआ कि राज्य में एनआरसी नहीं लागू होगा. इसके साथ ही एनपीआर में संशोधन को लेकर भी प्रस्ताव पारित हुआ. ये दोनों प्रस्ताव सर्वसम्मति से पारित हुआ. यानी एनआरसी के खिलाफ लाए गए प्रस्ताव को बीजेपी ने भी समर्थन किया.