दिल्ली पुलिस आयुक्त अमूल्य पटनायक शनिवार को कार्य मुक्त हो जाएंगे। उनका कार्यकाल अक्सर विवादों में रहा। जेएनयू हिंसा से लेकर तीस हजारी कोर्ट में पुलिस-वकीलों के बीच हुई झड़प को उनकी सबसे बड़ी असफलता से जोड़कर देखा जा रहा है। अब दिल्ली हिंसा में पुलिस की लापरवाही सामने आने के बाद पुलिस आयुक्त अमूल्य पटनायक की कार्यशैली पर कई सवाल उठ चुके हैं।
सूत्रों का कहना है कि हिंसा के दौरान पहले से जानकारी होने के बाद भी हालात नियंत्रण न कर पाने पर गृह मंत्रालय बेहद नाराज है। माना जा रहा है कि हिंसाग्रस्त इलाके में राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोभाल के ग्राउंड जीरो पर उतरने के बाद उनकी विदाई तय हो गई थी। इससे पहले उनका कार्यकाल दिल्ली चुनाव को देखते हुए एक माह के लिए बढ़ाया गया था।
पटनायक ने 30 जनवरी 2017 को दिल्ली के पुलिस कमिश्नर का पदभार ग्रहण किया था। वहीं, वरिष्ठ आईपीएस एसएन श्रीवास्तव अपना कार्यभार संभालेंगे। दिल्ली में हिंसा के बीच उनकी तैनाती विशेष पुलिस आयुक्त (लॉ एंड ऑर्डर) के पद पर की गई थी। वह सीआरपीएफ मुख्यालय दिल्ली डीजी (प्रशिक्षण) के पद पर थे।
दिल्ली पुलिस के वर्तमान पुलिस आयुक्त अमूल्य पटनायक की विदाई उस समय होगी जब दिल्ली का एक बड़ा इलाका हिंसा की आग में पूरी तरह से झुलस चुका है। उनके कार्यकाल में दिल्ली पुलिस की कार्यप्रणाली पर कई बार सवाल उठ चुके हैैं। हालात तब और खराब हो गए जब दिल्ली पुलिस के जवानों ने अपने अधिकारों की लड़ाई के लिए न केवल मोर्चा खोला बल्कि पुलिस मुख्यालय का घेराव कर एक दिन का धरना भी दिया।
इसके बाद जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय में छात्रों को कुछ नकाबपोशों ने लाठी डंडे से बुरी तरह से मारा- पीटा था। जामिया की लाइब्रेरी में छात्रों पर लाठियां भांजीं गईं। दोनों ही मामलों में पुलिस आयुक्त की सोशल मीडिया पर जमकर आलोचना हुई थी। इसके साथ ही कोर्ट ने भी कई बार दिल्ली पुलिस को जांच पर सवाल उठाते हुए फटकार लगा चुकी है।
सबसे बड़ा सवाल दिल्ली पुलिस पर उस वक्त उठा जब शाहीन बाग में बैठे 50 प्रदर्शनकारियों की संख्या देखते-देखते सैकड़ों में पहुंच गई और पुलिस को इसकी भनक तक नहीं लग पाई। विपक्ष पुलिस आयुक्त अमूल्य पटनायक पर हर वक्त हमलावर रहा। कांग्रेस से लेकर आम आदमी पार्टी तक ने उनका कई बड़े मुद्दे पर इस्तीफा तक मांग लिया था।
पुलिस आयुक्त अमूल्य पटनायक की कई अहम फैसलों के लिए सराहना भी मिली है। महिलाओं के खिलाफ अपराध पर अंकुश लगाने के लिए स्पेशल यूनिट की स्थापना, पार्सल बम मुकदमा, सरिता विहार अपहरण का मामला, असगर गैंग का खुलासा उनके कार्यकाल की सफलताओं में गिना जा सकता है। उन्हें नौकरी के दौरान उत्कृष्ट सेवा के लिए राष्ट्रपति पुलिस मेडल से भी सम्मानित किया जा चुका है। अमूल्य पटनायक मूल रूप से ओडिशा के रहने वाले हैं।