चमड़ा कारोबारियों के अनुसार पुलवामा हमले ने उन्हें कड़े कदम उठाने को मजबूर कर दिया है। फुटवियर लेदर सेक्टर से जुड़े आयातकों ने बताया कि बीते कुछ वर्षों से भारत में पाकिस्तान से मध्यम श्रेणी का काफ लेदर बड़ी तादाद में आ रहा है। अकेले लाहौर की चार दर्जन टेनरियों से ही आगरा को सालाना 450 करोड़ रुपये से भी ज्यादा के लेदर की सप्लाई होती है। वहीं कराची की टेनरियों को भी जोड़ लिया जाए तो यह सप्लाई 600 करोड़ रुपये का आंकड़ा पार कर जाएगी। पाकिस्तान से आने वाले उत्पादों पर अब दो सौ फीसदी ड्यूटी लगा दी गई है। इन हालातों में पाकिस्तानी चमड़ा मौजूदा दाम से कम से कम तीन गुना महंगा भी हो जाएगा।
पुलवामा हमले के बाद ताजनगरी आगरा के उद्यमियों ने पाकिस्तान ने चमड़ा न खरीदने का फैसला लिया है। आगरा की कुल लेदर खपत का 25 फीसदी हिस्सा पाकिस्तान से आता है। इस तरह आगरा के 600 करोड़ रुपये की चपत लगाई है।
पाक को निर्यात नहीं होने देंगे
स्थानीय कारोबारियों की संस्था नेशनल चैंबर ऑफ इंडस्ट्रीज एंड कॉमर्स ने भी पाक के विरुद्ध मोर्चा खोल दिया है। शनिवार सुबह जीवनी मंडी स्थित संस्था भवन में आयोजित शोकसभा के दौरान तय किया गया कि नेशनल चैंबर पाकिस्तान को होने वाले निर्यात के लिए आगरा के कारोबारियों को सर्टिफिकेट ऑफ ऑरिजिन प्रदान नहीं करेगा। घोषणा की गई कि जब तक पाकिस्तान आतंकियों को संरक्षण बंद नहीं करता, यह निर्णय कायम रहेगा।
एफमेक की अपील
शहर के फुटवियर निर्यातकों की संस्था आगरा फुटवियर मैन्यूफैक्चरर्स एक्सपोर्टर्स चैंबर से संबंधित सोशल मीडिया ग्रुप पर सदस्य अपने विचार रख रहे हैं। इसमें अधिकतर की राय है कि वे पाकिस्तान के व्यापारियों के साथ कोई संबंध नहीं रखेंगे। उनका कहना है कि वह कारोबार के अन्य विकल्पों पर विचार कर लेंगे, लेकिन अपने कारोबार से पाक के आतंकवाद को पनपने नहीं देंगे।
आगरा में लेदर फुटवियर का कारोबार पांच हजार करोड़ रुपये से भी ज्यादा का है। इसमें बड़ी संख्या में जूते ऐसे होते हैं, जिनके ऊपरी हिस्से और सोल, दोनों ही लेदर के होते हैं। वहीं कुछ जूते ऐसे होते हैं, जिनमें सोल अन्य सामग्री का होता है। केवल अपर लेदर का होता है। यदि औसत लागत लगाई जाए तो इसमें अकेले लेदर की खरीद ढाई हजार करोड़ रुपये हो जाएगी। वर्तमान में आगरा की कुल लेदर खपत का 25 फीसदी हिस्सा पाकिस्तान के पास है।