पीएम मोदी ने कहा कि मैं आज, इस 75वें संस्करण के समय सबसे पहले ‘मन की बात’ को सफल बनाने के लिए, समृद्ध बनाने के लिए और इससे जुड़े रहने के लिए हर श्रोता का बहुत-बहुत आभार व्यक्त करता हूं.
कोरोना संकट के मद्देनजर पीएम मोदी ने पिछले साल के कदमों की भी चर्चा की. उन्होंने कहा कि पिछले वर्ष ये मार्च का ही महीना था, देश ने पहली बार जनता कर्फ्यू शब्द सुना था. मगर इस महान देश की महान प्रजा की महाशक्ति का अनुभव देखिये, जनता कर्फ्यू पूरे विश्व के लिए एक अचरज बन गया था. अनुशासन का ये अभूतपूर्व उदाहरण था, आने वाली पीढ़ियां इस एक बात को लेकर के जरूर गर्व करेंगी.
पीएम मोदी ने कहा कि उसी प्रकार से हमारे कोरोना वॉरियर्स के प्रति सम्मान, आदर जताने के लिए लोगों ने थाली, ताली बजाई, दीया जलाया. आपको अंदाजा नहीं है कोरोना वॉरियर्स के दिल को कितना छू गया था वो, और, यही कारण है जो पूरे साल भर, वे बिना थके, बिना रुके, डटे रहे.
बता दें कि देश में कोरोना के मामले बड़ी तेजी से बढ़ रहे हैं, इसे लेकर पीएम चिंता जता चुके हैं. इससे पहले उन्होंने 28 फरवरी को इस कार्यक्रम के जरिये राष्ट्र को संबोधित किया था. उस दौरान पीएम मोदी ने लोगों से जल संरक्षण करने की अपील की थी.
इसके अलावा पीएम मोदी ने तमिल भाषा की तारीफ करते हुए कहा था कि वह तमिल भाषा सीख नहीं पाए. यह उनकी कमी है. उन्होंने कहा था कि ”मैं दुनिया की सबसे प्राचीन भाषा तमिल सीखने के लिए बहुत प्रयास नहीं कर पाया, मैं तमिल नहीं सीख पाया. यह एक ऐसी सुंदर भाषा है, जो दुनिया भर में लोकप्रिय है. बहुत से लोगों ने मुझे तमिल साहित्य की क्वालिटी और इसमें लिखी गई कविताओं की गहराई के बारे में बहुत कुछ बताया है.”
पीएम मोदी ने अपने इस संबोधन के दौरान लोगों से करोनो वायरस महामारी संकट के बीच एहतियात बरतने की भी अपील की थी. पीएम मोदी ने कहा था कि किसी भी तरह की कोई भी लापरवाही ना बरतें. पीएम मोदी ने अपने पिछले मन की बात कार्यक्रम में बोर्ड परीक्षा की तैयारी कर रहीं छात्राओं और छात्रों को भी संदेश दिया था. उन्होंने कहा था कि, ”आप सब को याद है ना Warrior बनना है Worrier नहीं, हंसते हुए परीक्षा देने जाना है और मुस्कुराते हुए लौटना है. किसी और से नहीं, अपने आप से ही स्पर्धा करनी है.”