एशिया टाइम्स ने बताया कि ग्लोबल बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव (BRI) के लिए पाकिस्तान की USD 60 बिलियन की प्रतिबद्धता से बीजिंग पीछे हट रहा है। एफएम शकील ने अपने लेख में CPEC (चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारा) का जिक्र करते हुए कहा कि पाकिस्तान तेजी से ऋण संकट की ओर बढ़ रहा है। जीडीपी अनुपात में पाकिस्तान का कर्ज अब सकल घरेलू उत्पाद के 107% के उच्च स्तर पर है। सुधार और कमजोर राजकोषीय प्रबंधन लाने में सरकार की विफलता के कारण पाकिस्तान कर्ज के जाल में फंस गया है।
संयुक्त राज्य अमेरिका में बोस्टन विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं द्वारा संकलित आंकड़ों का हवाला देते हुए हाल की मीडिया रिपोर्टों में कहा गया है कि राज्य समर्थित चीन विकास बैंक और चीन के निर्यात-आयात बैंक द्वारा समग्र रूप से उधार देने का आंकड़ा जो 2016 में 75 बिलियन USD था वो पिछले साल घटकर केवल 4 मिलियन अमरीकी डॉलर रह गए। 2020 के आंकड़े बताते हैं कि 2020 में लगभग 3 बिलियन अमरीकी डालर की राशि तक रह गई। एक तो लोन बढ़ रहा है और अब अधिक लोन भी नहीं मिल रहा है।
एफ़एम शकील ने एशिया टाइम्स के लिए लिखा, उन्होंने चीन और पाकिस्तान आर्थिक गलियारा परियोजना (CPEC) में धन के खराब होने के पीछे CPEC में शामिल चीनी कंपनियों द्वारा अमेरिका के साथ बीजिंग के व्यापार युद्ध और भ्रष्टाचार को जिम्मेदार ठहराया। BRI से संबंधित कई परियोजनाएं अब बंद हो गई हैं या वित्तपोषण की कमी के कारण अनुसूची के पीछे चल रही हैं। घोषित किए गए CPEC प्रोजेक्ट्स में से केवल 32 इस वित्त वर्ष की तीसरी तिमाही के रूप में पूरे हुए हैं। लेखक ने उल्लेख किया कि चीन द्वारा CPEC प्रतिबद्धताओं के अनुसार, उसे पाकिस्तान के चार प्रांतों में आठ विशेष आर्थिक क्षेत्र (SEZ) का निर्माण करना था।