पाकिस्तान में हुए आम चुनाव पर सवाल उठने लगे हैं। अमेरिकी प्रतिनिधि सभा ने पाकिस्तान में लोकतंत्र और मानवाधिकारों के समर्थन में एक द्विदलीय प्रस्ताव पारित किया है। इसमें पाकिस्तान के 2024 के चुनावों में हस्तक्षेप के दावों की गहन और स्वतंत्र जांच की मांग की गई है। सदन के 85 प्रतिशत सदस्यों ने इसमें भाग लिया और इसके पक्ष में मतदान किया।
पाकिस्तान में हाल ही में हुए आम चुनाव में गड़बड़ी होने की बातें सामने आई थी। मुख्य विपक्षी दल पीटीआई के संस्थापक और पूर्व पीएम इमरान खान ने भी आरोप लगाए थे कि पाकिस्तान के चुनावों में घपला हुआ है और मतगणना के दौरान गड़बड़ी कर नवाज शरीफ की पार्टी को जिताया गया है। इस बीच अब इमरान को अमेरिका का भी साथ मिलते दिख रहा है।
पाक के चुनाव पर अमेरिकी संसद में प्रस्ताव पास
दरअसल, अमेरिकी प्रतिनिधि सभा ने बुधवार को पाकिस्तान में लोकतंत्र और मानवाधिकारों के समर्थन में एक द्विदलीय प्रस्ताव पारित किया और पाकिस्तान के 2024 के चुनावों (Pakistan elections 2024) में हस्तक्षेप के दावों की “गहन और स्वतंत्र जांच” का आह्वान किया। सदन के 85 प्रतिशत सदस्यों ने इसमें भाग लिया और इसके पक्ष में मतदान किया।
प्रस्ताव में क्या हुआ पेश?
- प्रस्ताव में अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन से लोकतंत्र, मानवाधिकार और कानून के शासन को बनाए रखने में पाकिस्तान के साथ सहयोग करने का आग्रह किया गया।
- जॉर्जिया के कांग्रेसी मैककॉर्मिक और मिशिगन के कांग्रेसी किल्डी द्वारा ‘पाकिस्तान में लोकतंत्र और मानवाधिकारों के लिए समर्थन व्यक्त करना’ शीर्षक वाले प्रस्ताव, एचआर 901 को पेश किया गया और 100 से अधिक सहयोगियों द्वारा सह-प्रायोजित किया गया।
पाक के लोगों के साथ खड़ा है अमेरिका
एक आधिकारिक बयान में कहा गया कि यह प्रस्ताव लोकतांत्रिक मूल्यों को बनाए रखने और पाकिस्तान के लोगों के अधिकारों का सम्मान करने के महत्व को रेखांकित करता है, क्योंकि वे आर्थिक अस्थिरता और सुरक्षा खतरों का सामना कर रहे हैं।
इस प्रस्ताव का लगभग सर्वसम्मति से पारित होना पाकिस्तान सरकार को एक स्पष्ट संदेश देता है कि अमेरिका पाकिस्तान के लोगों के साथ लोकतंत्र, स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव और व्यक्तिगत स्वतंत्रता और मानवाधिकारों के सम्मान की तलाश में खड़ा है।
पाक सरकार का आया रिएक्शन
प्रस्ताव पर पाकिस्तान की शहबाज शरीफ सरकार की प्रतिक्रिया भी सामने आई। पाकिस्तान के विदेश कार्यालय ने कहा कि द्विदलीय प्रस्ताव देश की राजनीतिक स्थिति और चुनावी प्रक्रिया की “अपूर्ण समझ” से उपजा है। मंत्रालय ने कहा कि हमारा मानना है कि इस विशेष प्रस्ताव का समय और संदर्भ हमारे द्विपक्षीय संबंधों की सकारात्मक गतिशीलता के साथ मेल नहीं खाता है।