पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के निधन से पाकिस्तान में उनका पैतृक गांव भी दुखी है। इस्लामाबाद से करीब 100 किलोमीटर दूर गाह गांव के लोगों ने एक सभा की और अपने गांव के उस मनमोहन के निधन पर शोक व्यक्त किया, जो बाद में भारत के प्रधानमंत्री बने थे।
गाह में की कक्षा चार तक की पढ़ाई
अल्ताफ हुसैन नामक एक ग्रामीण ने कहा, ‘पूरा गांव शोक में है। हमें लगता है कि आज हमारे परिवार में से किसी की मृत्यु हुई है।’हुसैन गाह के उसी स्कूल में शिक्षक हैं, जहां मनमोहन सिंह ने कक्षा चौथी तक की पढ़ाई की थी। मनमोहन के पिता गुरमुख सिंह कपड़ा व्यापारी थे, जबकि उनकी मां अमृत कौर गृहिणी थीं। उनके दोस्त उन्हें ‘मोहना’ बुलाते थे।
पहले झेलम जिले में आता था गाह गांव
मनमोहन का जब इस गांव में जन्म हुआ था, तब यह झेलम जिले में आता था, लेकिन बाद में इसे चकवाल में शामिल कर दिया गया। 1986 में चकवाल को जिला बना दिया गया था। मनमोहन के सहपाठी रहे राजा मोहम्मद अली के भतीजे राजा आशिक अली ने 2008 में उनसे मिलने के लिए दिल्ली आए थे।
उन्होंने कहा, ‘ये सभी ग्रामीण बेहद दुखी हैं। वे भारत में उनके अंतिम संस्कार में शामिल होना चाहते हैं, लेकिन यह संभव नहीं है। इसलिए वे यहां शोक व्यक्त करने के लिए आए हैं।’
1937 में स्कूल में लिया था दाखिला
मनमोहन सिंह की प्रारंभिक शिक्षा गाह के स्कूल में हुई थी। स्कूल के रजिस्टर में उनका प्रवेश क्रमांक 187 है और उन्होंने 17 अप्रैल, 1937 को दाखिला लिया था। उनकी जन्मतिथि चार फरवरी, 1932 और उनकी जाति कोहली दर्ज है। ग्रामीण स्कूल के जीर्णोद्धार का श्रेय मनमोहन सिंह को देते हैं।