पाकिस्तान में ही खूब लगे उसकी बर्बादी के नारे
पैरामिलिटरी फोर्सेज ने पार्टी के हेडक्वॉर्टर नाइन जीरो पर सोमवार रात रेड मारी। सुरक्षा बलों ने पार्टी के सीनियर नेताओं को हिरासत में ले लिया है। इसके बाद पार्टी को भी सील कर दिया गया। पाकिस्तानी रेंजर्स ब्रिगेडियर खुर्रम ने मीडिया से बातचीत करते हुए कहा कि MQM ऑफिस खुर्शीद मेमोरियल हॉल और पार्टी के मीडिया डिपार्टमेंट को सील कर दिया गया है।
MQM चीफ अल्ताफ हुसैन ने एक रैली को विडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए संबोधित किया था। इस संबोधन में उन्होंने पाकिस्तान की दहशतगर्दी के खिलाफ खूब बोला। कहा जा रहा है कि हुसैन ने अपने कार्यकर्ताओं को मीडिया पर अटैक करने के लिए भी उकसाया। सोमवार को MQM कार्यकर्ता कराची प्रेस क्लब के बाहर भूख हड़ताल पर बैठे थे। इसी दौरान पार्टी चीफ अल्ताफ हुसैन ने टेलिफोन के जरिए कार्यकर्ताओं को संबोधित किया।
अल्ताफ हुसैन ने अपने कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए कहा, ‘पाकिस्तान पूरी दुनिया के लिए नासूर है। पाकिस्तान दुनिया के लिए अलाव है। पाकिस्तान पूरी दुनिया के लिए दहशतगर्द है। इसका खात्मा एक इबादत होगा।’ MQM के ज्यादातर लोग पाकिस्तानी मूल के भारतीय प्रवासी हैं।
अल्ताफ लंदन में निवार्सित जीवन जी रहे हैं। हुसैन को पाकिस्तानी मीडिया ने पूरी तरह के ब्लैक्ड आउट कर रखा है। इन्हें पाकिस्तानी भगोड़े के रूप में देखा जाता है। हुसैन ने आग्रह किया है कि सभी लोकतांत्रिक देशों को पाकिस्तानी आर्मी की ज्यादतियों पर ध्यान देना चाहिए। उन्होंने कहा कि पाकिस्तानी आर्मी ने उनके हजारों कार्यकर्ताओं की निर्मम हत्या की है।
हुसैन ने कहा कि MQM पाकिस्तान में एकमात्र उदार, सेक्युलर राजनीतिक पार्टी है। हाल ही में अल्ताफ हुसैन ने कहा था कि ओबामा प्रशासन को कराची में निगरानी के लिए पर्यवेक्षकों की एक टीम भेजना चाहिए। हुसैन ने कहा था कि यहां मानवाधिकारों का उल्लंघन चरम पर है। उन्होंने कहा था कि अमेरिका ऐसा दूसरे देशों के साथ करता है तो पाकिस्तान के साथ क्यों नहीं कर सकता। सत्ताधारी पाकिस्तान मुस्लिम लीग (पीएमएल) और इमरान खान की पाकिस्तान तहरीके इंसाफ पार्टी मुहाजिरों को धोखेबाजों के रूप में देखती हैं। ये आरोप लगाते हैं कि MQM भारतीय खुफिया एजेंसी रॉ के नियंत्रण में काम कर रहा है।
पीपीप चेयरमैन बिलावल भुट्टो जरदारी ने ट्वीट कर अल्ताफ हुसैन की आलोचना की है। उन्होंने कहा कि अभिव्यक्ति की आजादी मौलिक अधिकार है और इसके लिए लोगों को बलिदान देना पड़ा है। पत्रकारों पर हमला अभिव्यक्ति की आजादी पर हमला है।