वैज्ञानिकों ने ऐसे विशेषता वाला पहला ग्रह खोजा है, जो रहने योग्य हो सकता है। यह ग्रह हमारे सौर मंडल के बाहर मिला है। हमारी धरती से यह करीब 31 प्रकाश वर्ष दूर है। इस ‘सुपर-अर्थ’ (super Earth) ग्रह को जीजे 357-डी (GJ 357d) नाम दिया गया है। इस ग्रह की खोज नासा के सेटेलाइट से की गई है। नासा के ट्रांजिटिंग एक्सोप्लेनेट सर्वे सैटेलाइट (NASA’s Transiting Exoplanet Survey Satellite, TESS) के जरिये इस साल के शुरू में यह ग्रह खोजा गया था।
जीवन को लेकर जगी उम्मीद
अमेरिका की कॉर्नेल यूनिवर्सिटी की असिस्टेंट प्रोफेसर और टीईएसएस विज्ञान टीम की सदस्य लिजा कलटेनेगर ने कहा, ‘यह उत्साहजनक है कि समीप में पहला सुपर अर्थ मिला है। इस पर जीवन की संभावना हो सकती है। यह आकार में हमारी धरती से बड़ा है। इस पर घना वातावरण देखने को मिला है। जीजे 357-डी पर अगर जीवन का कोई संकेत मिलता है तो यहां पर हर किसी की आने की चाहत होगी।’
तरल रूप में हो सकता है पानी
नए ग्रह की खोज से संबंधित यह अध्ययन एस्ट्रोफिजिकल जर्नल लेटर्स में प्रकाशित हुआ है। विज्ञानी लिजा कलटेनेगर (Lisa Kaltenegger) ने कहा कि जीजे 357-डी की सतह पर हमारी धरती की तरह पानी तरल रूप में हो सकता है। हम टेलीस्कोप की मदद से इस पर जीवन के संकेतों की पहचान कर सकते हैं। इसके बारे में जानकारी जल्द ही ऑनलाइन जारी की जाएगी। ट्रांजिटिंग एक्सोप्लेनेट सर्वे सैटेलाइट (टीईएसएस) एक अंतरिक्ष टेलीस्कोप है। इसे नासा ने ग्रहों की खोज के लिए 18 अप्रैल, 2018 को लांच किया था। यह सैटेलाइट दो साल तक काम करता रहेगा।
तीन ग्रहों का लगाया था पता
एस्ट्रोनोमी एंड एस्ट्रोफिजिक्स नामक जर्नल में स्पेन के इंस्टीट्यूट ऑफ एस्ट्रोफिजिक्स ऑफ द कैनरी आइलैंड और यूनिवर्सिटी ऑफ ला लागुना के खगोलविदों ने कहा है कि उन्होंने जीजे 357 सिस्टम का पता लगाया है। इसमें कुल तीन ग्रह हैं, जिसमें से एक ग्रह (जीजे 357-डी) में रहने के लिए अनुकूल परिस्थितियां हो सकती हैं। इसके अलावा इसमें एक बौना ग्रह (जीजे 357) भी है, जो सूर्य के आकार का एक तिहाई हिस्सा लगता है।
पृथ्वी से 22 फीसद बड़ा है 357 बी
पिछली फरवरी में ही टीईएस सैटेलाइट ने पता लगाया था कि जीजे 357 हर 3.9 दिनों में थोड़ा मंद हो रहा था। वैज्ञानिकों ने कहा कि यह इस बात का प्रमाण है कि इसके आस-पास कोई ग्रह चक्कर का लगा रहा है। नासा के गोडार्ड स्पेस फ्लाइट सेंटर के अनुसार, यह ग्रह जीजे 357 बी था, जो पृथ्वी से लगभग 22 फीसद बड़ा है।
बर्फीले ग्रहों पर भी जीवन संभव
इससे इतर वैज्ञानिकों ने एक नए अध्ययन में दावा किया है कि पृथ्वी के आकार वाले बर्फीले ग्रहों पर भी कुछ क्षेत्र रहने योग्य हो सकते हैं। वैज्ञानिक यह सोचते आए हैं कि पृथ्वी जैसे आकार वाले जमे हुए ग्रहों पर जीवन मुमकिन ही नहीं हो सकता है क्योंकि इन ग्रहों पर मौजूद महासागर जमे हुए हैं और अत्यधिक ठंड जीवन की संभावनाओं को खत्म कर देती है। नया अध्ययन पुरानी सोच को चुनौती देता है जिसमें हमें यह लगता है कि अत्यधिक ठंडे और गर्म ग्रहों में जीवन संभव ही नहीं हो सकता। बर्फीले ग्रहों की भूमध्य रेखाओं के पास के क्षेत्रों में रहने योग्य तापमान भी मौजूद हो सकता है।