हथिनी वत्सला का नाम गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में दर्ज कराने के प्रयास शुरू हो गए हैं। हथिनी वत्सला के जन्म का पूरा रिकॉर्ड केरल प्रांत के नीलांबुर फारेस्ट डिवीजन से मंगाया जाएगा। यह बात तीन दिवसीय दौरे पर पन्ना आए प्रदेश के प्रधान मुख्य वन संरक्षक वन्य प्राणी शहवाज अहमद ने शनिवार की शाम चर्चा के दौरान कही।
मालूम हो कि केरल के नीलांबुर फारेस्ट डिवीजन में जन्मी व पली-बढ़ी यह हथिनी 1972 में वहां से होशंगाबाद के बोरी अभ्यारण्य में लाई गई थी। इसके बाद वहां से यह हथिनी वर्ष 1992 में पन्ना टाइगर रिजर्व पहुंची। तभी से यह यहां की शोभा बढ़ा रही है। उल्लेखनीय है कि लगभग सौ वर्ष की उम्र पार कर चुकी हथिनी वत्सला का उपयोग पन्नाटाइगर रिजर्व में पूरे डेढ़ दशक तक यहा आने वाले पर्यटकों को बाघों का दीदार कराने के लिए किया जाता रहा है। लेकिन अत्यधिक उम्रदराज होने के कारण इसे आराम की जिंदगी। गुजारने के लिए रिटायर कर दिया गया। रिटायरमेंट के बाद से हथिनी वत्सला की पूरी देखरेख की जा रही है। उम्र को देखते हुए वत्सला को जहां सुगमता से पचने वाला आहार दिया जाता है, वहीं नियमित रूप से स्वास्थ्य परीक्षण भी होता है।