मुख्यमंत्री भगवंत मान ने रविवार को कहा कि उन्हें खुशी है कि केंद्र सरकार ने चंडीगढ़ विधेयक को वापस लेने और इसे संसद में नहीं लाने का फैसला किया है। मुझे उम्मीद है कि भविष्य में भी पंजाब से संबंधित कोई भी फैसला पंजाब के लोगों से सलाह किए बिना नहीं लिया जाएगा। उन्होंने केंद्रीय गृह मंत्रालय द्वारा जारी स्पष्टीकरण पर संतोष व्यक्त किया कि केंद्र सरकार का संसद के आगामी शीतकालीन सत्र में चंडीगढ़ के शासन या प्रशासनिक ढांचे में बदलाव करने के लिए कोई विधेयक पेश करने का कोई इरादा नहीं है।
गृह मंत्रालय ने यह स्पष्टीकरण पंजाब में केंद्र शासित प्रदेश चंडीगढ़ को संविधान के अनुच्छेद 240 के अंतर्गत लाने के प्रस्ताव पर उठे राजनीतिक तूफान के बाद जारी किया है। इस प्रस्ताव में चंडीगढ़ को बिना विधानसभा वाले केंद्र शासित प्रदेशों की श्रेणी में रखा गया है। आनंदपुर साहिब से आप सांसद मलविंदर सिंह कंग ने कहा कि चंडीगढ़ पर पंजाब का ऐतिहासिक और कानूनी अधिकार है और अभी भी सतर्क रहने की ज़रूरत है। उन्होंने आगे कहा, “चंडीगढ़ पंजाब को वापस दिया जाना चाहिए, यही हमारी मांग है।” इससे पहले, रविवार को आम आदमी पार्टी ने प्रस्तावित संविधान संशोधन विधेयक को लेकर केंद्र सरकार पर जमकर निशाना साधा।
आप के राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल ने भाजपा नीत केंद्र सरकार पर हमला बोलते हुए आरोप लगाया कि संवैधानिक संशोधनों के ज़रिए चंडीगढ़ पर पंजाब के अधिकार छीनने की उसकी कोशिश कोई साधारण कदम नहीं, बल्कि राज्य की पहचान और संवैधानिक अधिकारों पर सीधा हमला है। उन्होंने कहा कि पंजाबियों के अधिकार छीनने के लिए संघीय ढाँचे को तार-तार करने की यह मानसिकता बेहद ख़तरनाक है। इतिहास गवाह है कि पंजाबियों ने कभी किसी तानाशाही के आगे सिर नहीं झुकाया। पंजाब आज भी नहीं झुकेगा। चंडीगढ़ पंजाब का है और पंजाब का ही रहेगा,” उन्होंने एक्स पर पोस्ट किया। आप के एक अन्य नेता, वित्त मंत्री हरपाल चीमा ने चेतावनी दी कि चंडीगढ़ को ‘छीनने’ के केंद्र सरकार के किसी भी कदम का दोतरफा विरोध होगा: पंजाब सरकार द्वारा कानूनी संघर्ष और आप द्वारा सड़क से संसद तक कड़ा संघर्ष।
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