पंजाब सरकार ने पॉलिसी में परिवर्तन कर प्रमोटरों को राहत दी है ताकि जो लोग तय प्रोजेक्ट पर समयबद्ध तरीके से काम नहीं कर पाए या फिर प्रोजेक्ट को सिरे चढ़ाने में किसी प्रकार की आर्थिक या अन्य किसी पॉलिसी मैटर की वजह से अड़चनाें का सामना कर रहे हैं, वे सरकार की शर्तों को स्वीकार कर उस प्रोजेक्ट के लाइसेंस और जमीन को सरेंडर कर सकें।
पंजाब में कॉलोनियों और इंडस्टि्रयल पार्क प्रोजेक्ट के लाइसेंसी और प्रमोटरों को सरकार ने बड़ी राहत दी है। लाइसेंस सरेंडर करने के नियमों में बदलाव कर सरकार ने नई पॉलिसी जारी की है।
इसे गवर्नर ने मंजूरी दे दी है, जिसका नोटिफिकेशन जारी कर दिया गया है। पंजाब में अब किसी भी अप्रूवड कॉलोनी का लाइसेंस और इंडस्टि्रयल पार्क प्रोजेक्ट को प्रमोटर अगर सिरे नहीं चढ़ा पा रहा है तो वह पॉलिसी की 10 शर्तों को पूरा करते हुए लाइसेंस सरेंडर कर सकता है। फिर चाहे वह प्रमोटर इंडस्टि्रयल पार्क प्रोजेक्ट के तहत इंडस्टि्रयल एस्टेट, फोकल पॉइंट, टेक्सटाइल पार्क, फूड पार्क, आईटी पार्क, इलेक्ट्रोनिक पार्क औरएग्रो पार्क डेवलप करने का ही क्यों न हो।
लाइसेंस सरेंडर करने पर नहीं मिलेगा सीएलयू और ईडीसी चार्ज का पैसा
नई पॉलिसी के मुताबिक कॉलोनी के लाइसेंसी या इंडस्टि्रयल पार्क प्रोजेक्ट के प्रमोटर को चेंज ऑफ लैंड यूज (सीएलयू) और एक्सटर्नल डेवलपमेंट चार्जेज (ईडीसी) के शुल्क की वापसी नहीं होगी। जिस भी प्रमोटर ने सरकार को प्रोजेक्ट के लिए ईडीसी चार्ज जमा कराए हैं, उसका 25 प्रतिशत सरकार जब्त कर लेगी।
अन्य केस में अगर प्रमोटर या लाइसेंसी ने 25 प्रतिशत से कम ईडीसी चार्ज जमा कराए हैं, वह पूरा जब्त कर लिया जाएगा। अगर उसी प्रमोटर या लाइसेंसी का किसी प्रकार का ईडीसी चार्ज अन्य किसी प्रोजेक्ट पर अथॉरिटी के पास लंबित पड़ा है, तो सरेंडर प्रोजेक्ट का ईडीसी दूसरे प्रोजेक्ट में ट्रांसफर कर दिया जाएगा। ऐसे केस में 25 प्रतिशत से ऊपर का ईडीसी चार्ज उस प्रमोटर को अन्य प्रोजेक्ट का बकाया ईडीसी नहीं देने के एवज में ट्रांसफर कर दिया जाएगा।
नई पॉलिसी में ये हैं सरकार की अन्य शर्तें व नियम
प्रमोटर या लाइसेंसी तभी अपना लाइसेंस सरेंडर कर सकते हैं, अगर उसने तय प्रोजेक्ट या कॉलोनी में प्लॉट, अपार्टमेंट या निर्मित स्थान नहीं बेचा। और न ही उसने कॉलोनी या औद्योगिक पार्क परियोजनाओं के स्थल पर कोई विकास कार्य किया है। ऐसे मामलों में प्रमोटर एक कार्यकारी मजिस्ट्रेट द्वारा सत्यापित हलफनामा देगा। जिसमें वह यह पुष्टि करेगा कि तय प्रोजेक्ट कॉलोनी या औद्योगिक पार्क में किसी भी प्लॉट, अपार्टमेंट, विला या घर के लिए कोई बिक्री या आगे अलॉटमेंट नहीं की गई है।
अगर किसी प्रमोटर या लाइसेंसी ने अपने प्रोजेक्ट पर प्लॉट, अपार्टमेंट या आगे अलॉटमेंट की है तो उसे पहले एग्जीक्यूटिव मजिस्ट्रेट से उन अलॉटमेंट को संबंधित अलॉटी से खारिज कराना होगा और इसको लेकर एग्जीक्यूटिव मजिस्ट्रेट से उन अलॉटियों से यह हलफनामा दिलाना होगा कि वह भविष्य में उस संपत्ति या जमीन पर अपने मालिकाना हक का दावा नहीं पेश करेंगे।
लाइसेंस या प्रोजेक्ट के प्रमोटर के तौर पर लाइसेंस सरेंडर करने से पहले 30 दिन का पब्लिक नोटिस देना होगा, ताकि अगर कोई आपत्ति या दावेदारी सामने आती है तो उसके बारे में संबंधित अथॉरिटी को सूचित करना होगा।
प्रमोटर ने अगर कॉलोनी के लाइसेंस या औद्योगिक पार्क परियोजना के नाम पर बैंक से ऋण लिया है तो इसकी देनदारी का वह जिम्मेदार होगा। इसके अलावा प्रमोटर रियल एस्टेट (विनियमन और विकास) अधिनियम, 2016 और उसके तहत बनाए गए नियमों के तहत रेरा पंजाब द्वारा लागू की गई किसी भी देनदारी के लिए भी पूरी तरह से जिम्मेदार होगा।
प्रमोटर या लाइसेंसी को असली लाइसेंस के साथ प्रोजेक्ट का लेआउट प्लान, बिल्डिंग प्लान और सर्विस प्लान के साथ लाइसेंस लेने से पहले संबंधित अथॉरिटी से ली गई मंजूरी दस्तावेज को सरेंडर करना होगा।
सरेंडर लाइसेंस या प्रोजेक्ट के बारे में संबंधित अथॉरिटी को अपनी वेबसाइट पर पूरी जानकारी अपलोड करनी होगी, ताकि आम जनता को भी यह जानकारी मिल सके।