पंजाब और चंडीगढ़ में वायु प्रदूषण का स्तर खराब श्रेणी में बना हुआ है। रविवार को पंजाब में प्रदूषण खतरनाक स्तर पर पहुंच गया।
सूबे में सबसे ज्यादा मंडी गोबिंदगढ़ का एक्यूआई 320 और खन्ना का 307 दर्ज किया गया। पटियाला 286 के साथ तीसरे स्थान पर रहा। पांच अन्य शहरों का एक्यूआई यलो जोन में दर्ज किया गया। इनमें जालंधर का 177, लुधियाना का 187, रूपनगर का 130, अमृतसर का 127 और बठिंडा का 114 दर्ज किया गया।
पराली के 178 मामले
दूसरी ओर सूबे में पराली जलाना लगातार जारी है।। रविवार को पराली जलाने के 178 नए मामले सामने आए। अब तक कुल मामले 2262 हो चुके हैं। हालांकि पिछले दो साल के मुकाबले पंजाब में फिलहाल मामले कम हैं। साल 2024 में इस समय तक पराली जलाने के 3916 और साल 2023 में 11262 मामले सामने आ चुके थे। अब तक तरनतारन में सबसे ज्यादा 444 मामले दर्ज किए गए हैं। संगरूर में अब तक 406 जगह पराली जली है।
चंडीगढ़ सेक्टर-22 में सबसे ज्यादा प्रदूषण
चंडीगढ़ की हवा रविवार को फिर खराब श्रेणी में पहुंच गई। केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) के आंकड़ों के मुताबिक, चंडीगढ़ का औसत वायु गुणवत्ता सूचकांक 240 दर्ज किया गया, जो ‘पुअर’ कैटेगरी में आता है। यह स्तर स्वास्थ्य के लिए हानिकारक माना जाता है और सांस से जुड़ी दिक्कतें पैदा कर सकता है, खासकर बच्चों, बुजुर्गों और अस्थमा के मरीजों के लिए।
शहर में तीन निगरानी केंद्रों से मिले आंकड़ों के अनुसार, सेक्टर-22 का एक्यूआई सबसे ज्यादा 310 दर्ज किया गया, जो ‘बहुत खराब’ स्तर में आता है। वहीं, सेक्टर-25 में यह 224 और सेक्टर-53 में 186 दर्ज किया गया। पिछले तीन दिनों में प्रदूषण स्तर में लगातार बढ़ोतरी दर्ज की गई है । 30 अक्तूबर को 125, 31 अक्तूबर को 135 और 1 नवंबर को 170 रहा था। विशेषज्ञों का कहना है कि मौसम में ठंड बढ़ने के साथ-साथ हवा की गति धीमी होने और आसपास के इलाकों में पराली जलाने से प्रदूषण का स्तर बढ़ गया है। पर्यावरण विशेषज्ञों ने लोगों से अपील की है कि अनावश्यक वाहन उपयोग से बचें और सुबह-शाम बाहर निकलते समय मास्क का इस्तेमाल करें। प्रशासन ने नागरिकों को सलाह दी है कि खुली आग या कचरा न जलाएं और वायु गुणवत्ता सुधार में सहयोग करें।
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