कर्ज के बोझ के बीच पंजाब सरकार तय सीमा से अधिक लोन ले रही है। पंजाब पर पहले ही 3.82 लाख करोड़ रुपये का कर्ज है। पंजाब सरकार ने केंद्र सरकार की तरफ से तय सीमा से 17 हजार 112 करोड़ रुपये अधिक लोन लिया है।
(राजिंद्र शर्मा) कर्ज के बोझ के बीच पंजाब सरकार तय सीमा से अधिक लोन ले रही है। राज्य सरकार ने वर्ष 2024-25 में केंद्र सरकार की तरफ से तय सीमा से 17,112 करोड़ रुपये अधिक लोन लिया है। पंजाब पर पहले ही 3.82 लाख करोड़ रुपये का कर्ज है और इस बीच ताजा आंकड़ों ने सरकार की और भी चिंता बढ़ा दी है। वित्त मंत्रालय की रिपोर्ट में इसका खुलासा हुआ है जो सोमवार को लोकसभा में पेश की गई है।
रिपोर्ट के अनुसार केंद्र सरकार ने वर्ष 2024-25 में सूबे की 23,716 करोड़ शुद्ध उधार सीमा तय की थी लेकिन सरकार ने ओपन मार्केट से 40,828 करोड़ रुपये का लोन उठाया है। वित्त आयोग की सिफारिश के बाद ही केंद्र सरकार की तरफ से सभी राज्यों की उधार सीमा तय की जाती है।
वर्ष 2024-25 में उधार सीमा जीएसडीपी की 3 प्रतिशत पर तय की गई थी और राज्यों के लिए अपने राजस्व बजट को संतुलित रखना और अपने राजकोषीय घाटे को जीएसडीपी के 3 प्रतिशत पर बनाए रखना अनिवार्य किया गया था। अगर पिछले पांच साल का रिकॉर्ड देखें तो हर साल ही पंजाब ने केंद्र की तय से अधिक उधार ओपन मार्केट से उठाया है जो चिंताजनक है।
इस साल सरकार की तरफ से पेश किए गए बजट के अनुसार वित्तीय वर्ष 2025-26 के अंत तक प्रदेश पर 4 लाख 17 हजार 146 करोड़ का कर्ज हो जाएगा जबकि वर्ष 2023-24 में अनुमानित कर्ज 3 लाख 82 हजार 934 करोड़ रुपये था। हर साल ही इसमें वृद्धि होती जा रही है। वर्ष 2023-24 में पंजाब पर 3 करोड़ 46 लाख 185 करोड़ रुपये का कर्ज था।
आय के स्रोत बढ़ाने के लिए करना होगा काम
प्रदेश में आर्थिक संकट और राजकोषीय घाटे को कम करने के लिए सरकार नए रोडमैप पर भी काम कर रही है। डीएवी कॉलेज अर्थशास्त्र विभाग के प्रोफेसर बिमल अंजुम ने बताया कि सरकार को अपने आय के स्रोत बढ़ाने के लिए काम करना होगा। इसी तरह मुफ्त की योजनाओं पर भी कुछ लगाम लगानी होगी तभी जाकर राज्य इस कर्ज के जाल से बाहर निकल पाएगा। 1986 में राज्य को कैश सरप्लस माना जाता था लेकिन मुफ्त चुनावी घोषणाओं ने प्रदेश को आर्थिक संकट में धकेल दिया है। अकाली-भाजपा, कांग्रेस और अब फिर आम आदमी पार्टी की सरकार में भी यह संकट कम नहीं हो रहा है।
बिजली सब्सिडी सरकार के लिए बनी बड़ी समस्या
प्रदेश सरकार के लिए बिजली सब्सिडी सबसे बड़ी समस्या बन गई है। प्रदेश में प्रत्येक कनेक्शन पर 300 यूनिट प्रति माह निशुल्क बिजली दी जाती है। बिजली सब्सिडी पर सरकार का करीब 20 से 22 हजार करोड़ रुपये खर्च हो रहा है।
पिछले पांच साल में तय सीमा व लोन
वर्ष – तय उधार सीमा (करोड़ों में) – ओपन मार्केट से लोन (करोड़ों में)
2020-21 – 18,196 32,995
2021-22 – 22,951 25,814
2022-23 – 22,044 45,500
2023-24 – 20,628 42,386
2024-25 – 23,716 40,828