पराली जलाने की घटनाओं के कारण पंजाब के कई शहरों में एक्यूआई खराब स्थिति में है। 24 घंटे में राज्य में प्रदूषण का स्तर एक बार फिर चिंताजनक स्तर पर पहुंच गया है। आपको बता दें कि गत रात तापमान में भी 1.5 डिग्री की गिरावट आई। पंजाब के ज्यादातर शहरों में तापमान 10 डिग्री तक गिर गया है। आज भी पंजाब के प्रमुख शहरों में तापमान 9 डिग्री से 26 डिग्री के बीच रहने का अनुमान है।
जहरीले धुएं के कारण लोगों को खांसी, जुखाम और बुखार जैसी बीमारियों ने जकड़ लिया है। बहुत से लोग मास्क लगाकर घर से बाहर निकल रहे हैं। अगर एक दो दिनों में बारिश न हुई तो हालात बेकाबू हो सकते हैं। मौसम विभाग अनुसार पश्चिमी गड़बड़ी के कारण नमी की मात्रा में वृद्धि हुई है। नतीजे स्वरूप सुबह घना कोहरा पड़ने लगा है। पराली और पटाखों के धुएं ने हालात खराब कर दिए। नमी और हवा की रफ्तार कम होने के कारण यह धुआं बिखरता नही, जिस कारण इसका गिलाफ बन जाता है जो सूर्य की रौशनी को धरती की सतह तक आने नहीं देता। उधर हालात इतने खराब होने के बावजूद पराली जलाने की घटनाओं का सिलसिला नहीं रुक रहा। सोमवार को पंजाब में पराली जलाने के 888 मामले दर्ज किए गए, जो इस सीजन का सबसे ज्यादा आंकड़ा है। इससे पहले पराली जलाने के 750 मामलों का रिकॉर्ड किया गया था।
एयर क्वालिटी इंडैक्स के मापदंड अनुसार 50 तक की हवा को अच्छा माना जाता है, जबकि 100 से ज्यादा अंक वाली हवा मनुष्य के लिए खतरनाक होने लगती है। पंजाब के कई जिलों में एयर क्वालिटी 150 से पार पहुंच चुकी है। एयर क्वालिटी इंडैक्स 0-50 तक के एयर क्वालिटी इंडैक्स वाली हवा को अच्छा माना जाता है, जिसका मनुष्य पर कम प्रभाव होता है। 51-100 तक ए.क्यू.आई. संतुष्टिजनक है। संवेदनशील लोगों के लिए सांस लेने में कठिनाई होती है। 101-200 तक के ए.क्यू.आई. में फेफड़ों, दमा और दिल की बीमारियों वाले लोगों को सांस लेने में तकलीफ हो सकती है। 201-300 ए.क्यू.आई. मानवीय सेहत के लिए बुरा है, लंबे समय तक इस हवा के संपर्क में रहने पर ज्यादातर लोगों सांस लेने में तकलीफ होती है। 301-400 ए.क्यू.आई. वाली हवा मनुष्य के लिए बेहद बुरी है, लंबे समय तक संपर्क में रहने पर सांस की बीमारी हो सकती है।
401-500 ए.क्यू.आई. वाली हवा सेहतमंद लोगों को प्रभावित करती है और मौजूदा बीमारियों वाले लोगों को गंभीरता से प्रभावित करती है। वर्णनीय है कि एयर क्वालिटी इंडैक्स (ए.क्यू.आई) द्वारा हवा की गुणवत्ता को रोजाना मापा जाता है, जोकि दर्शाता है कि हवा कितनी साफ या प्रदूषित है और सेहत पर संभावित सेहत प्रभावों संबंधी बताता है।