पंजाब की जेलों से नशे के कारोबार पर हाईकोर्ट सख्त

पंजाब की जेलों से नशे की तस्करी मामले में पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट लगातार कड़ा रुख अपना रहा है। जेल में नशा तस्करी की आरोपी महिला की जमानत याचिका पर सुनवाई के दौरान कोर्ट ने एसएसओसी को तलब किया था। पंजाब पुलिस की जांच पर सवाल उठाते हुए कोर्ट ने सीबीआई और ईडी के वकील को बुला कर इस मामले में प्रतिवादी बना दिया था। 

पंजाब की जेलों से नशे की तस्करी मामले में कड़ा रुख अपनाते हुए पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट ने अब इस मामले में सीबीआई को पक्ष बनाते हुए जवाब दाखिल करने का आदेश दिया है। साथ ही स्टेट स्पेशल ऑपरेशन सेल (एसएसओसी) फाजिल्का के एसएसपी को अगली सुनवाई पर जेल अधिकारियों के खिलाफ की गई कार्रवाई का ब्योरा सौंपने का आदेश दिया है।

जेल में नशा तस्करी की आरोपी महिला की जमानत याचिका सुनवाई के लिए पहुंची थी। इस पर हाईकोर्ट ने याचिका का दायरा बढ़ाते हुए जेलों में नशे को लेकर एडीजीपी जेल को तलब कर लिया था। मामले की जांच एसएसओसी कर रही थी और एक भी जेल अधिकारी का नाम जांच में सामने नहीं आया था। ऐसे में हाईकोर्ट ने एसएसओसी के प्रमुख को तलब कर लिया था और उनकी मौजूदगी में इस मामले में फैसला सुरक्षित रख लिया था, लेकिन इस मामले में हाईकोर्ट ने फिर से सुनवाई करने का निर्णय लिया है।

पिछली सुनवाई पर हाईकोर्ट ने टिप्पणी करते हुए कहा था कि जेल से 43000 कॉल की गई हैं। नौ माह बीतने के बाद भी मोबाइल किसने जेल में पहुंचाया जांच दल के पास इसका जवाब नहीं है। एसएसओसी के सभी अधिकारियों की संपत्ति की जांच करवाएंगे तो शायद ही कोई बचेगा।

हाईकोर्ट ने कहा कि बर्खास्तगी से कम की सजा पर ये अपराध नहीं रुकने वाले। इंक्रीमेंट रोकने की सजा का कोई मतलब नहीं है, इन्हें वेतन देना बंद कर दोगे तो भी ये काम करते रहेंगे क्योंकि हर माह 20 करोड़ से ऊपर की कमाई है। जेल से नशे का कारोबार चल रहा है, इससे बड़ा और क्या अपराध होगा। कोर्ट ने कहा कि जेल से नशा मिले तो जेलर को करो बर्खास्त, नशा तस्करी का आरोपी बरी हो तो जांच अधिकारी को, तभी यह नेटवर्क टूटेगा।

इस पर पंजाब सरकार ने बताया कि इस मामले की जांच कर रहे एआईजी को निलंबित कर दिया गया है। हाईकोर्ट ने कहा कि जेल अधिकारियों के खिलाफ जांच करने में पंजाब पुलिस सक्षम नहीं है। इस पर पंजाब के एजी ने जांच सीबीआई और ईडी को न सौंपने का निवेदन किया। उन्होंने कहा कि एसएसओसी को 15 दिन की मोहलत दी जाए और यदि परिणाम से अदालत संतुष्ट न हो तो जांच किसी को भी सौंपी जाए हमें आपत्ति नहीं होगी। इसके बाद हाईकोर्ट ने सीबीआई और ईडी के वकील को बुला कर इस मामले में प्रतिवादी बना लिया और मामले में फैसला सुरक्षित रख लिया था।

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