नोबेल विजेता अभिजीत बनर्जी: कोरोना काल में लोगों का कर्ज माफ कर दिया जाए और लोगों को नकदी दी जाए इसी तरह लोगों को ताकत दी जा सकती है

कोरोना वायरस महामारी का संकट देश में फैलता जा रहा है और इस वजह से लॉकडाउन भी बढ़ गया है. लॉकडाउन में लंबे वक्त से फंसे हुए प्रवासी मजदूरों को अब घर जाना नसीब हुआ है, धीरे-धीरे अलग-अलग राज्यों से मजदूर घर जाना शुरू हो गए हैं.

लेकिन इस बीच कई जगह लगातार देरी होने की वजह से मजदूरों ने हंगामा शुरू कर दिया, सोमवार को देश के अलग-अलग हिस्सों से ऐसी कई तस्वीरें सामने आईं.

कोरोना वायरस महामारी की वजह से देश में लॉकडाउन है और अर्थव्यवस्था की रफ्तार थम गई है. कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने मंगलवार को नोबेल विजेता अभिजीत बनर्जी से खास बात की. इस दौरान दोनों ने अर्थव्यवस्था की चुनौतियां, कोरोना संकट से निकलने को लेकर मंथन किया.

राहुल गांधी ने अभिजीत से पूछा कि जब आपने नोबेल पुरस्कार जीता तो क्या वह चौंकाने वाला था? अभिजीत बोले बिल्कुल उन्होंने कभी ऐसा नहीं सोचा था.

अभिजीत बनर्जी बोले कि यूपीए सरकार ने काफी अच्छी नीतियां लागू की थीं, लेकिन अब वो सरकार यहां पर लागू नहीं कर रही हैं. यूपीए सरकार ने जिस आधार जैसी योजना को लागू किया था, इस सरकार ने भी उसको सही बताया और उसपर ही काम किया.

उन्होंने कहा कि आज के वक्त में इस तरह की सुविधा काफी सही साबित हो सकती थीं, लेकिन ऐसा नहीं हो पाया. इसका मतलब है देशव्यापी योजना लागू नहीं हो पाई है.

राहुल गांधी ने कहा कि आज कैश की दिक्कत होगी, बैंकों के सामने कई तरह की चुनौती होगी और नौकरी बचाना मुश्किल होगा.

इसपर अभिजीत ने कहा कि ये बिल्कुल सच होने जा रहा है, ऐसे में देश में आर्थिक पैकेज की दरकार है. अमेरिका-जापान जैसे देशों ने ऐसा किया है, लेकिन हमारे यहां नहीं हुआ. छोटे उद्योगों की मदद करनी चाहिए, इस तिमाही का ऋण भुगतान खत्म कर देना चाहिए.

राहुल के सवाल पर अभिजीत ने कहा कि भारत में अभी मांग की समस्या है, क्योंकि किसी के पास पैसा नहीं है तो कोई कुछ खरीद ही नहीं रहा है. ऐसे में लोगों को आर्थिक मदद पहुंचाने में किसी तरह की देरी बेकार है.

अभिजीत ने कहा कि लॉकडाउन की वजह से जहां पर कारोबार पूरी तरह से ठप है, वहां आर्थिक मदद की ज्यादा जरूरत है.

राहुल बोले कि लॉकडाउन से जितनी जल्दी बाहर आया जाए, उतना अच्छा है लेकिन उसके बाद भी एक प्लान होना चाहिए, वरना सारा पैसा बेकार है.

इसपर अभिजीत ने कहा कि हमें महामारी के बारे में पता होना चाहिए, लॉकडाउन को बढ़ाने से कुछ नहीं होगा.

राहुल गांधी ने पूछा कि आज देश में राशन कार्ड काफी कम है, लोगों के पास खाना नहीं है. अभिजीत बोले कि हमने इसपर पहले भी सलाह दी है कि सरकार को अभी राशन कार्ड जारी करने चाहिए, जो कम से कम तीन महीने के लिए काम करें और हर किसी को मुफ्त में राशन मिल सके. हर किसी को इस वक्त चावल, दाल, गेहूं और चीनी की जरूरत है.

अभिजीत ने कहा कि अगर हर किसी को पैसा पहुंचाना है तो उसके लिए एक वातावरण चाहिए, जिसके पास खाता है उसे मिल सकता है. लेकिन अगर किसी के पास बैंक खाता नहीं है तो उसके बारे में भी सोचना होगा. ऐसे में राज्य सरकारों को अधिक से अधिक मदद देनी होगी, ताकि किसी तरह से आम लोगों तक पैसा पहुंच पाए.

राहुल गांधी ने कहा कि बड़े फैसले भले ही केंद्र सरकार ले, लेकिन लॉकडाउन या जमीनी फैसलों को राज्य सरकार को लेने दिया जाना चाहिए. लेकिन, मौजूदा सरकार अलग हिसाब से चल रही है और केंद्र से ही फैसला ले रही है.

अभिजीत ने कहा कि केंद्र को गरीबों के लिए नई योजना लाने की जरूरत है, वहीं राज्यों और जिला अधिकारियों को गरीबों को लेकर सीधा लाभ पहुंचाने की जरूरत है.

अभिजीत ने बताया कि इंडोनेशिया इस वक्त लोगों को कैश ट्रांसफर कर रहा है, वह लोगों पर ही छोड़ रहे हैं कि किसे इस वक्त पैसे की जरूरत है. सरकार से अधिक लोगों को पता होता है कि किसे इस वक्त पैसों की जरूरत है.

अभिजीत ने कहा कि आज भी कई ऐसी योजनाएं हैं जिनसे लोग नहीं जुड़ पाए हैं, ऐसे में आज ये जरूरत है कि उन लोगों तक भी मदद पहुंचाई जाए. हमें इस बात को भूलना चाहिए कि इससे कुछ लोगों को फायदा पहुंच सकता है, लेकिन इस वक्त रिस्क लेने की जरूरत है क्योंकि ये समय की मांग है.

राहुल गांधी ने पूछा कि 6 महीने के बाद जब बीमारी चली जाएगी तो अर्थव्यवस्था पर क्या होगा. अभिजीत ने कहा कि अभी सबसे बढ़िया तरीका है कि लोगों का कर्ज माफ कर दिया जाए और लोगों को नकदी दी जाए. इसी तरह लोगों को ताकत दी जा सकती है.

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