नेशनल हेराल्ड मामले में कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी की गुरुवार को नई दिल्ली में ईडी के सामने पेशी को लेकर देश भर में कांग्रेस कार्यकर्ताओंं में नाराजगी देखी जा रही है। लखनऊ में भी कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने सरकार पर तानाशाही का आरोप लगाते हुए प्रवर्तन निदेशालय कार्यालय के सामने प्रदर्शन किया।

कांग्रेस कार्यकर्ता बड़ी संख्या में सुबह से ही हजरतगंज स्थित ईडी कार्यालय के सामने एकत्रित होने लगे थे। प्रभारी सत्य नारायण पटेल, विधायक वीरेंद्र चौधरी के अलावा महानगर अध्यक्ष दिलप्रीत सिंह और अजय श्रीवास्तव सहित कई वरिष्ठ नेता भी प्रदर्शन करने पहुंचे थे। प्रदर्शनकारियों का कहना था कि केंद्र सरकार के इशारे पर सरकारी एजेंसियां विपक्षी नेताओं को बदनाम करने की साजिश रच रही हैं।
लोकतांत्रिक व्यवस्था के लिए तानाशाही ठीक नहीं : देश के लोकतांत्रिक व्यवस्था के लिए इस तरह की तानाशाही ठीक नहीं है। भाजपा सरकार डर रही है इसलिए विपक्षी पार्टियों को फर्जी मामलों में फंसाने का प्रयास कर रही है। पुलिस ने कार्यकर्ताओं को वापस लौटने की अपील की लेकिन वे डटे रहे। करीब आधे घंटे तक प्रदर्शन के बाद पुलिस ने कार्यकर्ताओं को बसों में भरकर इको गार्डन धरना स्थल भेज दिया।
यह है पूरा मामला : यह मामला 01 नवंबर 2012 को तब शुरू हुआ जब दिल्ली के पटियाला हाउस कोर्ट में सुब्रमण्यम स्वामी ने एक केस दायर किया था। इस मामले में सोनिया गांधी और राहुल गांधी के अलावा वरिष्ठ कांग्रेस नेता मोतीलाल वोरा, आस्कर फर्नांडिस, सुमन दुबे और सैम पित्रोदा को आरोपी बनाया गया था। मोतीलाल वोरा व आस्कर फर्नांडिस का निधन हो चुका है। अब यह मामला वर्तमान में राउज एवेन्यू स्थित विशेष अदालत में चल रहा है।
कांग्रेस नेताओं पर आरोप है कि यंग इंडियन प्राइवेट लिमिटेड के माध्यम से एसोसिएटेड पत्रिकाओं के 90.25 करोड़ रुपए की वसूली का अधिकार प्राप्त किया गया जबकि इस अधिकार को पाने के लिए सिर्फ 50 लाख रुपए का भुगतान किया गया था।
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