बारिश और बाढ़ ने देश के कई सूबों में हाहाकार मचा रखा है. पहाड़ से लेकर मैदान तक आसमान से आफत बरस रही है. सबसे बुरा हाल असम का है जहां 84 से ज्यादा लोगों की अबतक बारिश की वजह से मौत हो गई है.
इसके साथ ही देश का बड़ा हिस्सा आसमानी आफत से त्राहिमाम कर रहा है. घरों से लेकर दुकानें तक जलमग्न हो गए हैं. नदियां अपनी सीमाएं तोड़ कर शहरों में घुस आई हैं.
नेपाल में हो रही भारी बारिश बिहार के लिए काल बन गई है. तमाम शहर और गांव बाढ़ के पानी डूब गए हैं. मौसम विभाग ने पूर्वी और पश्चमी चंपारण , गोपालगंज, वैशाली, सीतामढ़ी और दरभंगा के लिए अलर्ट जारी किया है.
बागमती नदी और गंडक नदी में पानी का स्तर और खतरनाक ढंग से बढ़ सकता है. निचले इलाकों में रहने वाले लोगों को ऊंचाई वाली जगहों पर जाने को कहा गया है.
उधर मौसम विभाग ने उत्तराखंड में 23 से 25 जुलाई तक रुद्रप्रयाग, चमोली, उत्तरकाशी , बागेश्वर और पिथौरागढ़ के लिए रेड अलर्ट जारी किया है. जबकि देहरादून और पौड़ी गढ़वाल के लिए ऑरेंज अलर्ट जारी किया गया है.
इससे पहले शिमला में सोमवार को भारी बारिश के बाद पहाड़ टूट गया और बाजार को तबाह कर गया. लैंडस्लाइड से शिमला की सेब मंडी में भारी नुकसान हुआ.
अब यूपी में भी बाढ़ का खतरा बढ़ता जा रहा है. बाराबंकी में सरयू नदी खतरे के निशान से ऊपर बह रही है. नेपाल से लगातार छोड़ा जा रहा पानी कई जिलों में खतरे की घंटी बजा रहा है.
सिद्धार्थ नगर में कूड़ा नदी रौद्ररूप दिखा रही है. नदी के कटान से कई गांवों को खतरा पैदा हो गया है. यूपी से सटे उत्तरी बिहार के कम से कम आठ जिले बाढ़ से बेहाल हैं.
नेपाल में लगातार हो रही बारिश के बाद से बिहार की नदियां उफान पर हैं. कई जगह नदियों के तटबंध दरकने लगे हैं और नदियों का पानी गांवों को अपनी चपेट में ले चुका है. पटना में सीआरपीएफ के कैंप में पानी भर गया तो मधुबनी में एसपी, डीएम से लेकर जिला जज के घर में पानी घुस गया.
बिहार में नदियां उफान पर हैं. दर्जनों गांव पानी में पूरी तरह डूब चुके हैं. एक के बाद एक नदियों के तटबंध जवाब दे रहे हैं और नतीजा ये कि हजारों लोग बाढ़ से बेहाल हो रहे हैं.
सहरसा में कोसी नदी एक बार फिर रौद्र रूप दिखा रही है जिसको बिहार का शोक भी कहा जाता है. नदी के निचले इलाकों में बसे गांवों से सैकड़ों लोगों को नावों के जरिये बाहर निकाला जा रहा है क्योंकि घर पूरी तरह बाढ़ के पानी से घिर चुके हैं. दर्जनों गांवों में इंसानों के साथ पालतू जानवर भी बाढ़ के पानी में फंसे दिखे.
सरकार कह रही है कि नदी के सारे तटबंध सुरक्षित हैं लेकिन नवहट्टा ब्लॉक में कोसी के मुख्य तटबंध पर बड़ी दरारें पड़ चुकी हैं. लगातार बारिश से दरारें बढ़ती जा रही हैं. आगे की हालत की कल्पना तक सिहरा देती है. मुजफ्फरपुर की तस्वीरें भी बता रही हैं कि बिहार किस तरह आसमानी आफत से जूझ रहा है.
लगातार बारिश से यहां लखनदेई नदी का तटबंध टूट गया. इसके बाद पूरे रफ्तार के साथ नदी का पानी गांवों को अपनी जद में लेता गया. दर्जनों गांव पूरी तरह जलमग्न हो गए. दो साल से नदी के इस किनारे को बांधने का काम काम चल रहा था. सीतामढ़ी में लोगों को नेशनल हाइवे 77 पर शरण लेनी पड़ी है.
लोगों को निकालने के लिए डेढ़ दर्जन नावों को इंतजाम किया गया है लेकिन ज्यादातर जर्जर है. सीतामढ़ी के गांवों से लेकर शहर तक हर जगह पानी पानी है.
गोपालगंज भी बाढ़ से सबसे ज्यादा प्रभावित चंद जिलों में है. गंडक नदी यहां रौद्र रूप दिखा रही है. गंडक नदी के किनारे के सभी छह ब्लॉक में अलर्ट जारी किया गया है. वाल्मीकिनगर बैराज से लगातार पानी छोड़ा जा रहा है.
प्रशासन लोगों से अपील कर रहा है कि निचले इलाकों से हट जाएं. सुपौल में भी लोग बाढ़ और बारिश की दोहरी मार लोग झेल रहे हैं. गांव से लेकर शहर तक भारी बारिश का तांडव दिख रहा है. निर्मली ब्लॉक मुख्यालय पर थाने से लेकर घरों तक में पानी घुस चुका है. निर्मली शहर में जगह जगह दो से तीन फुट पानी भर गया है.
दूसरे शहरों के साथ सूबे की राजधानी पटना में भी इंतजामों की पोल खुल गई है. दो घंटे की बारिश से पटना के कई इलाकों में पानी भर गया. सीआरपीएफ कैंप में पानी भर गया. कदमकुआं थाने का भी यही हाल था. मधुबनी में भी बाढ़ ने हर आमोखास को बेहाल कर डाला.
क्या डीएम क्या एसपी और क्या जिल जज सबके घरों में पानी घुस गया. बिहार हर साल इसी तरह बाढ़ की मार झेलता है लेकिन कुदरत की इस मार बचने के स्थाई इंतजाम पर अब तक काम नहीं किया गया.