नेपाल के एक वरिष्ठ पत्रकार बलराम बानियां की संदेहात्मक मौत को लेकर कई सवाल उठ रहे हैं. नेपाल के सबसे बड़े मीडिया घराना कान्तिपुर में पिछले तीन दशक से वरिष्ठ पत्रकार रहे बानियां का शव मंगलवार को काठमांडू से करीब 200 किमी दूर हेटौडा के पास बरामद किया गया था. उनकी आखिरी रिपोर्ट चीन की ओर से नेपाल की भूमि पर कब्जा जमाने को लेकर थी. नेपाल के विभिन्न पत्रकार संगठनों ने नेपाल सरकार से बलराम बानियां की संदेहास्पद मौत की निष्पक्ष जांच की मांग की है.
24 जून को बलराम बानियां ने कान्तिपुर में एक खबर छापी थी जिसमें नेपाल के उत्त्तरी सीमा के कई स्थानों पर चीन की ओर से अवैध कब्जा किए जाने की बात का जिक्र था. इसमें बाकायदा कुछ तथ्य और प्रमाण भी जुटाए गए थे जिसके आधार पर यह खबर कान्तिपुर के फ्रंट पेज पर छपी थी. नेपाल के सबसे लोकप्रिय और सबसे अधिक बिकने वाले अखबार में चीन के खिलाफ ऐसी खबर छपने से काठमांडू में हंगामा मचना स्वाभाविक था.
यह खबर ऐसे समय नेपाली मीडिया में प्रकाशित हुई थी जब नेपाल सरकार, नेपाल की ब्यूरोक्रेसी और अधिकांश मीडिया चीन के प्रभाव में थे और नेपाल भारत पर अपनी जमीन कब्जा करने का आरोप लगा रहा था. इस खबर को लेकर संसद में भी खूब हंगामा हुआ और नेपाल के विदेश मंत्री प्रदीप ज्ञवाली को नेपाली संसद के ऊपरी सदन में सफाई देनी पड़ गई थी. उस समय ज्ञवाली ने कहा कि नेपाल के एक इंच भूमि पर भी चीन का कब्जा नहीं है और यह नेपाल चीन संबंध को बिगाड़ने की मीडिया की चाल थी. इतना ही नहीं, विदेश मंत्री ज्ञवाली ने यहां तक कहा कि चीन के द्वारा जिस गांव पर चीन का कब्जा होने की बात उल्लेख है, उस गांव के लोग अपने मन से चीन में विलय हुए हैं. मंत्री के इस बयान की विपक्षी दलों ने जमकर आलोचना की थी.
कान्तिपुर में खबर प्रकाशित होने के बाद चीन भी खासा नाराज हुआ. चीन ने अखबार के मैनेजमेंट पर इतना दबाब दिया कि इस खबर को ना सिर्फ ऑनलाइन से हटाना पड़ गया बल्कि उसके अगले ही दिन अखबार के संपादक ने माफी मांगते हुए अपने ही अखबार के खबर को रिपोर्टर की गलत नीयत के कारण खबर प्रकाशित करने की बात कही. इसके साथ ही चीन के विरोध में खबर लिखने वाले पत्रकार बलराम बानियां को कारण बताओ नोटिस जारी करते हुए उन्हें एक महीने की छुट्टी पर भेज दिया गया.
अपनी मौत से ठीक पहले पत्रकार बलराम बानियां ने एक पत्रकार से आखिरी बातचीत में कहा कि उनके दफ्तर ने उन्हें बहुत ही अपमानित किया, उनकी सही खबर को गलत साबित कर दिया. वो काफी तनाव में दिख रहे थे. आखिरी बार पत्रकार बलराम बानियां को काठमांडू के कलंकी इलाके में एक नदी किनारे देखे जाने की बात पुलिस बता रही है.
कुछ प्रत्यक्षदर्शियों के हवाले से पुलिस ने बताया कि नदी किनारे पैर फिसलने से वो गिर गए और डूब कर उनकी मौत हो गई. हालांकि, एक सवाल ये उठ रहा है कि काठमांडू के बागमती नदी में सोमवार को डूबे व्यक्ति की लाश मंगलवार को 200 किमी की दूरी पर हेटौडा के एक हाइड्रो पावर स्टेशन पर कैसे मिली?
उनके शरीर पर कोई कपड़ा भी नहीं था और ना ही जूता ही था, ऐसे में संदेह यह उठा रहा है कि यदि उन्होंने आत्महत्या की तो उनके कपड़े कैसे गायब हो गए? उनके सिर पर कई जगह गहरे चोट के निशान कहां से आए? उनकी आंख, माथे और गले पर चोट और गहरे घाव के निशान कैसे आ गए?
नेपाल के विभिन्न पत्रकार संगठनों ने इस संदेहास्पद मौत की जांच करने की मांग की है. पत्रकारों को आशंका है कि उनकी मौत के पीछे कहीं उनकी अंतिम खबर तो नहीं जिसमे उन्होंने चीन की चाल का पर्दाफ़ाश किया था? नेपाल पुलिस उस मौत को आत्महत्या या दुर्घटना बनाने की कोशिश में जुटी हुई है, लेकिन पत्रकारों के संगठन ने कहा कि सरकार और पुलिस प्रशासन से मांग की है कि उनकी मौत की निष्पक्ष जांच की जाए.