निर्मला सीतारमण ने शनिवार को वर्ष 2020-21 का बजट पेश करते हुए नौकरीपेशा लोगों से जुड़े कई ऐलान किए. इनकम टैक्स स्लैब में तो बदलाव किए ही गए हैं, अब टैक्स छूट के लिहाज से ईपीएफ, एनपीएस जैसे साधनों में निवेश की सीमा तय कर दी गई है जिसकी वजह से इन पर भी टैक्स लगने की गुंजाइश बन गई है.
क्या कहा वित्त मंत्री ने
वित्त मंत्री ने अपने बजट भाषण में कहा कि टैक्स छूट के लिए कर्मचारी भविष्य निधि (EPF),नेंशनल पेंशन सिस्टम (NPS) और सुपरएनुएशन यानी रिटायरमेंट फंड में निवेश की संयुक्त ऊपरी सीमा 7.5 लाख रुपये तक कर दी है. इन तीनों में टैक्स छूट का फायदा मिलता है.
बजट डॉक्यूमेंट में कहा गया है, ‘यह प्रस्ताव किया जाता है कि एक साल में कर्मचारी के खाते में नियोक्ता द्वारा भविष्य निधि, सुपरएनुएशन फंड और एनपीएस में निवेश की ऊपरी सीमा 7.5 लाख रुपये तय किया जाए.’
कब से लागू नया नियम
यह नया नियम 1 अप्रैल, 2021 से लागू होगा और आकलन वर्ष 2021-22 के लिए मान्य होगा. इसका मतलब यह है कि इन सभी योजनाओं में किसी कर्मचारी का एक साल में निवेश 7.5 लाख रुपये से ज्यादा है तो उस पर टैक्स लग जाएगा.
पहले क्या था नियम
इसके पहले पीएफ और एनपीएस में नियोक्ता द्वारा किया जाने वाला निवेश पूरी तरह से टैक्स फ्री था और इसकी कोई सीमा नहीं थी. सिर्फ यह सीमा थी कि नियोक्ता कर्मचारी के सीटीसी वेतन के 12 फीसदी के बराबर पीएफ में योगदान करेगा.
गौरतलब है कि केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के आम करदाताओं को इस बजट से काफी उम्मीदें थीं, हालांकि वित्त मंत्री ने टैक्स स्लैब को लेकर जो उपाय किए हैं उससे लोगों का भ्रम बढ़ा है.
टैक्स स्लैब को लेकर हुए ये ऐलान
वित्त मंत्री ने ऐलान किया कि 2.5 लाख तक आमदनी वालों को कोई टैक्स नहीं देना पड़ेगा. जबकि 2.5 लाख से 5 लाख रुपये तक की आमदनी पर 5 फीसदी टैक्स का प्रावधान है. 5 से 7.50 लाख रुपये तक आमदनी वालों को अब 10 फीसदी टैक्स देना होगा, जिसे अब तक 20 फीसदी देना होता था.
जिनकी आमदनी 7.50 लाख से 10 लाख रुपये तक है, उन्हें अब 15 फीसदी टैक्स होना होगा. 10 से 12.50 लाख रुपये तक आमदनी वालों को 20 फीसदी टैक्स देना पड़ेगा, जिसे अब तक 30 फीसदी देना पड़ता है.
12.50 लाख से 15 लाख रुपये की आमदनी वालों को 25 फीसदी टैक्स देना होगा, जिन्हें अब तक 30 फीसदी तक लगता था. वहीं जिनकी आमदमी 15 लाख रुपये से ज्यादा है, ऐसे लोगों को 30 फीसदी टैक्स लगेगा.