नासा के ऑर्बिटर से हुआ खुलासा – चंद्रमा के क्रेटरों में मौजूद है ताजे पानी से बनी बर्फ

चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर मौजूद बर्फ के भंडार पुराने अनुमानों की तुलना में काफी नए हैं। एक नए अध्ययन में शोधकर्ताओं ने यह दावा किया है। इससे पहले वैज्ञानिकों का अनुमान था कि यहां करोड़ों वर्ष पुराने बर्फ के भंडार हैं। नया अध्ययन चंद्रमा की सतह के इस हिस्से के बारे में लोगों की रुचि को और बढ़ा सकता है। अमेरिका की ब्राउन यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं ने नासा के लूनर रिकॉनिस्सेंस ऑर्बिटर के डाटा का अध्ययन कर यह दावा किया है।

यह ऑर्बिटर 2009 से चंद्रमा की परिक्रमा कर रहा है। इस दौरान शोधकर्ताओं ने चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव में मौजूद बड़े क्रेटरों का अध्ययन कर उसकी उम्र का पता लगाना का दावा किया। इकारस नामक जर्नल में प्रकाशित अध्ययन में कहा गया है कि बड़े क्रेटरों के भीतर बने छोटे क्रेटरों की संख्या गिनकर शोधकर्ताओं ने इनके बनने की अवधि का भी पता लगाया है।

इससे पहले वैज्ञानिक का अनुमान था कि क्रेटरों का निर्माण क्षुद्रग्रहों और धूमकेतु के कारण हुआ था। अध्ययन में बताया गया है कि 31 करोड़ साल से भी पहले बने बड़े क्रेटरों के भीतर बर्फ के भंडार हैं, लेकिन जो छोटे क्रेटर यहां मौजूद हैं उनमें जमा हुआ पानी अन्य की अपेक्षाकृत ताजा है, जिसका अर्थ है कि चंद्रमा में मौजूद बर्फ पुराने अनुमानों से काफी नई है।

बता दें कि 22 जुलाई 2019 को लॉन्च किये गये चंद्रयान-2 के लैंडर विक्रम को चांद के दक्षिणी ध्रुव पर सॉफ्ट लैंडिंग करनी थी। लेकिन अंतिम क्षणों में लैंडर की रफ्तार पर से इसरो के वैज्ञानिकों का नियंत्रण खत्‍म हो गया जिससे वह रास्ता भटक गया और चंद्रमा पर सॉफ्ट लैंडिंग के बजाए उसकी हार्ड लैडिंग हुई।

रिपोर्टों में कहा गया है कि वह अपने निर्धारित स्थान से करीब 600 मीटर दूर जाकर गिरा। इसके बाद इसरो के वैज्ञानिकों ने लैंडर से संपर्क स्थापित करने की कोशिशें की लेकिन इसमें कामयाबी नहीं मिल पाई। हालांकि, चंद्रयान-2 का ऑर्बिटर अभी भी सटीकता से अपने मिशन को अंजाम दे रहा है। मालूम हो कि लैंडर विक्रम में मौजूद रोवर प्रज्ञान को चंद्रमा की सतह पर खनिजों के साथ साथ जल की मौजूदगी की मात्रा का पता लगाना था।

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