नाम देख किसान ने सिर पकड़ लिया बोले- कर्ज लिया ही नहीं तो माफी कैसी…

चुनाव से पहले पूर्व विधायक बृजेन्द्र तिवारी ने सहकारी बैंक में हुए घोटाले को पूरी ताकत के साथ उठाया, किसान आंदोलन भी किया। प्रशासन ने घोटालेबाजों के खिलाफ कार्रवाई का आश्वासन भी दिया, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं की। तब कांग्रेस ने किसान ऋण माफी का वादा किया और सत्ता में आने के बाद सबसे पहले किसान ऋण माफी को स्वीकृति दी।


जिलेे में किसान ऋण माफी की प्रक्रिया शुरू होते ही 76 कृषि साख सहकारी समितियों पर हुए घोटाले की परतें खुलने लगी हैं। समितियों की ओर से पंचायत पर ऋणदाताओं की सूची चस्पा की तो ऐसे किसाने आए, जिन्होंने ऋण लिया ही नहीं, लेकिन वह कर्जदार हैं।

किसानों ने जिला सहकारी केन्द्रीय बैंक की शाखा व समितियों पर पहुंच कर आपत्ति दर्ज कराई है। किसानों का कहना है- जब बैंक से कर्ज लिया ही नहीं तो माफी कैसी?

जिला सहकारी केन्द्रीय बैंक की ओर से किसानों को फसल के लिए दिया जाने वाला ऋण साख सहकारी समितियों के माध्यम से दिया जाता है। पिछले 6 साल में बिना कागजी कार्रवाई किए 120 करोड़ का फर्जी ऋण वितरण किया गया। वर्ष 2010 में ऋण वितरण घोटाला सामने आया था, लेकिन भाजपा सरकार में अच्छी पकड़ होने की वजह से आरोपी बचते रहे।

अब 11 जनवरी 2019 से ऋण माफी की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है। पंचायत स्तर पर कर्जदारों की लिस्ट चस्पा की गई है। इस लिस्ट में ऐसे किसानों के नाम सामने आए हैं, जिन्होंने ऋण लिया ही नहीं था। अब ये किसान सहकारी बैंक की शाखाओं पर आपत्ति दर्ज कराने पहुंच गए हैं। वहीं जिला सहकारी बैंक समितियों पर ऋण प्रदान करने का रिकॉर्ड खंगाल रही है तो वह मिल नहीं रहा।

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1143 के नाम निकाले थे 5.5 करोड़, 250 किसान मिले ही नहीं

जिला सहकारी केन्द्रीय बैंक की चीनौर शाखा से संबद्ध उर्वा सोसायटी का घोटाला सबसे ज्यादा चर्चित रहा। 1143 किसानों के नाम फर्जी ऋण वितरण कर बैंक को 5 करोड़ 50 लाख का चूना लगाया गया। जब पूर्व विधायक बृजेन्द्र तिवारी ने एक-एक किसान का वेरीफिकेशन कराया तो 300 किसानों के पते ही नहीं मिले। शेष किसानों के पास पहुंचे तो उन्होंने साफ इनकार कर दिया कि ऋण लिया ही नहीं है।

सहकारी बैंक की डबरा, भितरवार, चीनौर, आंतरी, पिछोर शाखा से संबद्ध समितियों पर फर्जी ऋण वितरण किया गया।

बुधवार को आंतरी शाखा पर चैनो बाई के पति लखन सिंह कुशवाह निवासी अमरोल अपनी शिकायत दर्ज कराने पहुंचे। उनका कहना था कि जब ऋण लिया ही नहीं तो 10 हजार का कर्ज कैसे मेरे नाम है।

शीलाबाई के पति काशीराम ने आंतरी शाखा पर आपत्ति दर्ज कराई कि वह पूरा ऋण चुकता कर चुके थे। बैंक की पावती भी है, लेकिन 31 हजार रुपए का ऋण कहां से दर्ज कर दिया।

लाल फॉर्म पर भरवा रहे आपत्ति

समिति पर कर्जदारों की सूची चस्पा हुई तो बड़ी संख्या में किसान आपत्ति दर्ज कराने आने लगे हैं। ऐसे लोग जिन्होंने ऋण नहीं लिया और कर्जदार हैं। उनसे लाल फार्म भरवा कर आपत्ति दर्ज कराई जा रही है। बैंक को भी नहीं पता कि ऐसे कितने मामले हैं, जिन्होंने ऋण लिया ही नहीं। अब जांच कर किसान को प्रमाण-पत्र दिया जाएगा कि उस पर कोई ऋण बकाया नहीं है।

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