नागरिकता संशोधन विधेयक (Citizenship Amendment Bill) का समर्थन करने के बाद से जदयू (JDU) के भीतर इस मुद्दे को लेकर विवाद जारी है। पार्टी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष प्रशांत किशोर (Prashant Kishor) ने बिल का समर्थन देने के बाद अपनी निराशा जाहिर करते हुए कहा था कि यह विधेयक लोगों से धर्म के आधार पर भेदभाव करता है।
जदयू के प्रदेश अध्यक्ष ने दी चेतावनी
उनके इस बयान का जदयू के कई नेताओं ने समर्थन भी किया और पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष नीतीश कुमार से दोबारा इसपर विचार करने की बात भी कही। दूसरी ओर पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष वशिष्ठ नारायण सिंह ने कहा कि पार्टी का स्टैंड साफ है और हमें कोई डाउट नहीं है। लोकसभा की तरह राज्यसभा में भी हम इस बिल का समर्थन करेंगे।
जब पार्टी का लाइन है तय तो फिर किसी भी पद पर बैठे व्यक्ति के अलग स्टैंड का कोई मतलब नहीं है। अधिकृत राय वही है जो लोकसभा में राजीव रंजन सिंह ने रखा है। उन्होंने स्पष्ट शब्दों में कहा कि पार्टी लाइन से अलग हटकर बोलने वालों के बयान उनके निजी हो सकते हैं, पार्टी का इससे कोई लेना -देना नहीं है।
उन्होंने ऐसे नेताओं के बारे में कहा कि पार्टी के निर्णयों पर सवाल उठाने से पहले पार्टी फ़ोरम में गंभीर मुद्दों पर चर्चा होती है और वहां पर ही अपनी बात रखें, अलग से कोई बयान न दें।
इसपर प्रशांत किशोर ने ट्वीट कर अपनी बात कही। उन्होंने ट्वीट में लिखा कि नागरिकता संशोधन बिल का समर्थन करने ले पहले जदयू नेतृत्व को उनलोगों के बारे में भी सोचना चाहिए जिन्होंने 2015 में उनपर भरोसा और विश्वास जताया था। हमें ये नहीं भूलना चाहिए कि 2015 की जीत के लिए पार्टी और इसके प्रबंधकों के पास जीत के बहुत रास्ते नहीं बचे थे।
वशिष्ठ नारायण सिंह ने प्रशांत किशोर और पवन वर्मा समेत कई लोगों के अलग रुख़ पर कहा कि इस बारे में हमलोग जानकारी लेगें। नीतीश कुमार के व्यक्तित्व और नेतृत्व पर कोई सवाल सवाल नहीं है। कई दलों में लोग अलग-अलग राय रखते हैं, लेकिन अगर हर मुद्दे पर अलग राय रहेगा तो पार्टी सोचेगी।