फिल्म की कहानी की शुरुआत होती है एक परंपरावादी परिवार से जो पंडित और कुंडली के चक्कर में जबरदस्ती अपने बेटे की शादी करवाना चाहते हैं, मगर मुसीबत तब होती है, जब उनका बेटा आकाश (अर्पित चौधरी) पहले से एक मॉडर्न और आजाद ख्याल लड़की अनीशा (करिश्मा शर्मा) से प्यार करता है और उसके साथ लिव-इन रिलेशनशिप में रहता है. विदेश में पली-बढ़ी अनीशा को बड़े परिवार और शादी जैसी झंझटों से चिढ़ है. उधर अनीशा को अपने प्यार में उलझाए रखने के लिए आकाश झूठ बोलता है कि वह अनाथ है.
कहानी में ट्विस्ट तब आता है, जब अनीशा किराए के मकान को खोजते हुए आकाश के घर की ही किराएदार बन जाती है. वह आकाश के परिवार को अपना परिचय शादीशुदा लड़की के रूप में देती है और आकाश को अपना पति बताती है. आकाश अपने ही झूठ के जाल में फंसता जाता है. खुद को बचाने के लिए वह अपने दोस्त देव (नचिकेत नार्वेकर) को आकाश बना कर लाता है. इसके बाद क्या होता है देखें फिल्म में.
रिव्यू: निर्माता-निर्देशक अमित अग्रवाल की फिल्म की समस्या यह है कि वह आपको फिल्म के बजाय सीरियल का फील देती है. निर्देशक ने एक साफ-सुथरी कॉमिडी फिल्म बनाने की कोशिश की कि कैसे मॉडर्न जमाने का कपल लिव-इन करने के लिए झूठ बोलता है और फिर उस झूठ में धंसता चला जाता है, मगर डायरेक्टर कहानी को सही ढंग से एग्जिक्यूट नहीं कर पाए.
कुछ हिस्सों में फिल्म मनोरंजन जरूर करती है, मगर कमजोर स्क्रीनप्ले के कारण फिल्म पूरी तरह से बांध नहीं पाती. फिल्म में कन्टिन्यूटी के कई दोष हैं. क्लाइमेक्स को निर्देशक बेहतर बना सकते थे.
एक्टिंग : अभिनय के मामले में अर्पित चौधरी औसत रहे हैं. अनीशा के रूप में करिश्मा शर्मा खूबसूरत लगी हैं. इस फिल्म में ‘तेजाब’ फेम जाने-माने निर्देशक एन चंद्रा के बेटे नचिकेत नार्वेकर ने अपना ऐक्टिंग डेब्यू किया है. दोस्त देव के रूप में वह हास्य के कुछ पल जुटाने में कामयाब रहे हैं. वहीं सपॉर्टिंग कास्ट में नौकर-नौकरानी की भूमिका करने वाले कलाकारों ने ओवर ऐक्टिंग की है, जबकि माता-पिता अपनी भूमिकाओं में सहज रहे.