तीन साल बाद 2020 में अधिक मास का संयोग बनेगा। नए साल में अश्विन अधिक मास होगा। इसी का प्रभाव है कि श्राद्ध पक्ष के एक माह बाद शारदीय नवरात्र का आरंभ होगा।

समान्यत: श्राद्धपक्ष की सर्वपितृ अमावस्या के अगले ही दिन शारदीय नवरात्र का आरंभ हो जाता है। लेकिन नए साल में सर्वपितृ अमावस्या के अगले दिन नवरात्र की बजाय अधिक मास की शुरुआत होगी।
ज्योतिषाचार्य पं. अमर डब्बावाला ने बताया पंचागीय गणना के अनुसार 18 सितंबर शुक्रवार को अधिक मास के रूप में प्रथम अश्विन की शुरुआत होगी। अधिक मास को पुरुषोत्तम मास के नाम से भी जाना जाता है।
इस मास को शुद्ध मास की गणना में नहीं गिना जाता है। इसलिए इसे अधिक मास की संज्ञा दी गई है, जो 18 सितंबर से शुरू होकर 17 अक्टूबर तक रहेगा। इस बार अधिक मास में दो तिथियां कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तथा शुक्ल पक्ष की तृतीया का क्षय है। धर्मधानी उज्जयिनी में अधिक मास में नव नारायण तथा सप्त सागरों की यात्रा का विधान है।
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