नियंत्रक व महालेखा परीक्षक की रिपोर्ट के बाद अब उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने राशन वितरण में नया घोटाला उजागर किया है। सिसोदिया के मुताबिक, इसका खुलासा मोबाइल के ओटीपी (वन टाइम पासवर्ड) से लाभार्थियों की पहचान कर राशन देने की की योजना से हुआ।
कई ऐसे मोबाइल नंबर मिले, जिन पर पिछले महीने सौ से पांच सौ तक ओटीपी जारी हुए। हर ओटीपी पर एक परिवार को राशन दिया गया। सिसोदिया ने बताया कि घोटाला पकड़ में आने पर शुक्रवार को मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और खाद्य व आपूर्ति मंत्री इमरान हुसैन ने बैठक की।
इसके बाद उपराज्यपाल अनिल बैजल को खत लिखकर विभाग के कमिश्नर को हटाने व घर-घर राशन पहुंचाने की योजना पर पुनर्विचार करने की गुजारिश की गई है। सिसोदिया ने बताया कि पूरे घोटाले के पीछे ई-पॉज योजना है। जनवरी महीने में इसे लागू करते वक्त दिल्ली कैबिनेट ने कई सुझाव दिए थे, जिसे विभागीय अधिकारियों ने अनदेखा किया।
बाद में भी गड़बड़ियां मिलने पर चुनी सरकार ने योजना बंद करने को कहा, लेकिन उपराज्यपाल ने इसे बेहतर बताते हुए घर-घर राशन पहुंचाने की सरकार की योजना को लागू नहीं होने दिया। दूसरी तरफ अधिकारियों ने बताया कि डाटा इंट्री मैच नहीं करने की हालत में लाभार्थियों की पहचान के लिए एक मार्च से ओटीपी जारी की जा रही है।
सिसोदिया के मुताबिक, इसमें शिकायत मिलने पर 21 मार्च को मंत्री ने दो दिन के भीतर विभाग से ओटीपी का पूरा डाटा देने को कहा। इस पर अधिकारियों का कहना था कि ओटीपी जारी करना बंद कर दिया गया है।
वहीं, डाटा देने में करीब दस दिन लगा दिए। अब आंकड़ों के शुुरुआती जांच से पता चला है कि मार्च में ओटीपी से करीब 41,000 परिवारों को राशन दिया गया। इसमें एक ही मोबाइल नंबर पर 499 ओटीपी भेजकर राशन जारी हुआ। इसी तरह कुछ मोबाइल पर 200, 172, 155, 110 ओटीपी जारी किए गए। सिर्फ 11 मोबाइल पर 1500 ओटीपी जारी हुए।
सिसोदिया का आरोप है कि खुले आम राशन की चोरी हो रही है। उपराज्यपाल को इसके बारे में कई बार लिखा गया। लेकिन मौजूदा सिस्टम उपराज्यपाल को भी अच्छा लग रहा है और अधिकारियों को भी।
उपराज्यपाल न तो फूड कमिश्नर आरके मीणा को हटा रहे हैं और डोर स्टेप योजना भी लागू नहीं होने दे रहे हैं। सिसोदिया का आरोप है कि दिल्ली में कांग्रेस व भाजपा के लोग राशन की दुकानें चला रहे हैं।