रेल मंत्रालय का पदभार संभालते ही नये रेल मंत्री रेलवे को पटरी पर लाने के लिए सक्रिय हो गये हैं। नये रेल मंत्री के पास 2019 के चुनावों में अपनी क्षमता दिखाने के लिए कुछ ही महीनों का वक्त है। लिहाजा उनका एक मात्र फोकस स्पीड है। पीयूष गोयल ने ट्रेनों की स्पीड बढ़ा कर उन्हें सुपर फास्ट कैटेगरी में शामिल करने का निर्देश दिया है। स्वच्छता पर नये रेल मंत्री का खास जोर है। इसलिए सभी ट्रेनों से पारंपरिक टॉयलेट हटने जा रहे हैं, जनवरी 2018 तक सभी बोगियों में आपको बॉयो टॉयलेट दिखेंगे। सभी रूटों पर विद्युतीकरण पर जोर दिया जा रहा है।
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रेलवे की बोगियां आपको चकाचक और मॉर्डन दिखेंगी। पुराने, दाग-धब्बों से भद्दे दिखने वाले कोच अब गुजरे जमाने की बात हो सकती है। यहीं नहीं ट्रेनों के टर्नअराउंड टाइम को भी कम से कम करने की कोशिश की जा रही है। टर्नअराउंड टाइम वो वक्त है जो एक ट्रेन को एक यात्रा समाप्त कर कर दूसरी यात्रा शुरू करने में लगता है। दरअसल ट्रेन जब अपने निर्धारित स्टेशन पर पहुंचती है तो इसके बाद ट्रेन के सभी मशीनों की बारीकी से जांच की जाती है, सभी जांच से पूर्णतया संतुष्ट होने के बाद ही रेलवे के इंजीनियर अगली यात्रा की अनुमति देते हैं। इस काम में फिलहाल 6 घंटे का वक्त लग रहा है। रेलवे इस टाइम को घटाकर एक घंटे करना चाहता है।
मंगलवार को रेलवे बोर्ड इन योजनाओं को अमली जामा पहुंचाने के लिए रणनीति बनाने में जुटा रहा। हालांकि अभी तक रेलवे बोर्ड की औपचारिक बैठक नहीं हुई है, क्योंकि रेलवे बोर्ड के चेयरमैन अश्विनी लोहानी बाहर हैं। काम के प्रति रेल मंत्री पीयूष गोयल के जुनून को देखते हुए रेलवे बोर्ड के सदस्य रेल मंत्रालय में आमूलचूल परिवर्तन का ब्लू प्रिंट तैयार कर रहे हैं। रेलवे बोर्ड के हर सदस्य अपनी अपनी विशेषज्ञता के क्षेत्र में 10 बड़े आइडिया तैयार कर रहे हैं।
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