नई शिक्षा नीति के बाद से ही एक बार फिर दक्षिण भारत में भाषा को लेकर एक बड़ी बहस छिड़ गई: कांग्रेस नेता पी. चिदंबरम

द्रविड़ मुनेत्र कड़गम (DMK) की नेता कनिमोझी से एयरपोर्ट पर हिन्दी में सवाल पूछने को लेकर जो विवाद शुरू हुआ वह अभी तक जारी है. अब हर दल की ओर से इसपर कई तरह की प्रतिक्रियाएं आ रही हैं. इस बीच पूर्व केंद्रीय मंत्री और कांग्रेस नेता पी. चिदंबरम ने भी इस मसले पर अपनी राय रखी, साथ ही उन्होंने खुद के साथ बीता किस्सा भी सभी के साथ साझा किया.

पी. चिदंबरम ने ट्वीट कर लिखा, ‘चेन्नई एयरपोर्ट पर डीएमके सांसद कनिमोझी के साथ जो हुआ वह कुछ नया नहीं है. मैंने भी ऐसे कई तंज सरकारी अफसरों, आम लोगों से सुने हैं जो मुझे फोन पर बातचीत या आमने-सामने की बातचीत के दौरान हिन्दी बोलने के लिए कहते हैं. अगर केंद्र सरकार चाहती है कि हिन्दी-अंग्रेजी देश की सरकारी भाषा बने, तो सभी केंद्रीय कर्मचारियों को इन भाषाओं में निपुण करना चाहिए.’

पूर्व केंद्रीय मंत्री ने लिखा कि जो नॉन-हिन्दी कर्मचारी होते हैं वो जल्द ही माहौल में ढलने के लिए बोलने लायक हिन्दी सीख जाते हैं. फिर हिन्दी बोलने वाले केंद्रीय अधिकारी क्यों नहीं ऐसा करते और अंग्रेजी बोलते?

दरअसल, बीते दिनों आई नई शिक्षा नीति के बाद से ही एक बार फिर दक्षिण भारत में भाषा को लेकर बहस छिड़ गई है. दक्षिण भारत के कई राज्य हर बार हिन्दी थोपने का आरोप लगाते हुए केंद्र का विरोध करते आए हैं.

इसी बीच कनिमोझी ने एक ट्वीट कर कहा था कि वो जब एयरपोर्ट पर थीं तो CISF के एक अफसर ने उन्हें हिन्दी में सवाल पूछने को कहा था. जिसपर पलटकर अधिकारी ने तमिल-अंग्रेजी बोलने पर कहा कि क्या आप भारतीय नहीं हैं.

इसी को लेकर विवाद गहराया और कनिमोझी ने कहा कि हिन्दी बोलना कब से भारतीय होने के बराबर हो गया. कनिमोझी के इस ट्वीट के बाद एक बार फिर हिन्दी बनाम तमिल का विवाद शुरू हुआ. हालांकि, बीजेपी की ओर से इस ट्वीट कर तंज कसा गया कि आठ महीने बाद राज्य में चुनाव हैं और प्रचार अभी से शुरू हो गया है.

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