द्रोपदी से जुडी कई कहानियां और कथाएं सुनी होंगी. ऐसे में आप जानते ही होंगे कि द्रौपदी महाभारत के प्रमुख पात्रों में से एक थी और ज्यादातर लोग द्रौपदी को पांचाली के नाम से पुकारा करते हैं. ऐसे में पांचाली नाम होने के पीछे का रहस्य यह है कि वह 5 पांडवों की पत्नी हैं. वहीं द्रौपदी ने हमेशा मुसीबत के समय में भगवान कृष्ण को पुकारा था और भगवान ने उसका साथ भी दिया था. वहीं आपको याद हो या आपने पढ़ा हो तो महाभारत की कथाओं के मुताबिक द्रौपदी राजा द्रुपद की पुत्री थीं लेकिन क्या ये बात कोई जानता है कि उसका जन्म मां के गर्भ से नहीं बल्कि हवन कुंड से हुआ था? जी हाँ, अगर आप इस बात से वाकिफ नहीं है तो आइए आज हम आपको बताते हैं इस बात का सार…
कथा – राजा द्रुपद एक ऐसे पुत्र की प्राप्ति चाहते थे जो कौरवों और पांडवों के गुरु द्रोणाचार्य का वध कर सके. राजा द्रपद ने ज्ञानी और तपस्वी दो ब्राह्मण भाइयों याज और उपयाज के निर्देश पर दिव्य हवन का आयोजन किया. इस हवन के दौरान राजा द्रुपद को पुत्र और पुत्री दोनों की प्राप्ति हुई, जिनका नाम धृष्टद्युमन और द्रौपदी रखा गया.
जी हां, ये बात सच है कि द्रौपदी का जन्म हवन कुंड से हुआ था न कि माता के गर्भ से. भविष्य पुराण की कथा में इस बात का उल्लेख है कि पूर्वजन्म में द्रौपदी एक ब्राह्मण की पुत्री थी. इनके पति की मृत्यु हो जाने के चलते इन्हें वैधव्य का सामना करना पड़ता था. द्रौपदी ने ब्राह्मणों और साधुओं की बड़ी सेवा की थी. साधुओं की कृपा से इन्होंने स्थाली दान व्रत किया था. इस व्रत से उन्हें यह वरदान मिला कि वह देवी लक्ष्मी के समान होंगी.
पूर्वजन्म में अल्पायु में ही विधवा हो जाने के चलते द्रौपदी ने ऋषियों की सलाह पर महादेव की तपस्या करना शुरू कर दिया. भगवान शिव ने द्रौपदी की तपस्या से खुश होकर दर्शन दिया और वरदान मांगने को कहा. द्रौपदी ने वरदान के तौर पर ऐसा पति मांगा जो किसी एक पुरुष में गुण मिलना आसान नहीं था. इस वरदान के चलते ही द्रौपदी पांच पतियों की पत्नी बनीं.