मध्य प्रदेश स्थित भोपाल-बीना रेलवे ट्रैक पर 56 दिन पहले मरणासन्न हालत में मिले युवक को पूरी तरह से होश आ गया है। वह एक माह बाद कोमा से बाहर निकला था। आठ दिन पहले अस्पताल से छुट्टी मिलने के बाद उसने आपबीती घर वालों को बताई और मामला नए सिरे से पुलिस तक पहुंचा। उसका कहना है कि दोस्तों ने उसे अधमरा कर रेलवे ट्रैक पर फेंक दिया था। हालांकि पुलिस को उसकी कहानी पर संदेह है। जांच जारी है।
भोपाल-बीना रेलवे ट्रैक पर 19 जुलाई को मरणासन्न हालत में मिला था युवक
19 जुलाई को विदिशा जिले के मंडीबामोरा पुलिस चौकी प्रभारी मीनेष भदौरिया को सूचना मिली थी कि पठारी रेलवे गेट के आगे रेलवे ट्रैक पर युवक का शव पड़ा है। वह जवानों के साथ मौके पर पहुंचे तो देखा कि ट्रैक पर शव नहीं बल्कि मरणासन्न अवस्था में युवक पड़ा हुआ है। उन्होंने उसे सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र मंडीबामोरा पहुंचाया। इलाज के दौरान युवक की पहचान संजय कॉलोनी मंडीबामोरा निवासी सुरेश पिता गजराज कुशवाहा के रूप में हुई। इसके बाद उसे भोपाल के एक निजी अस्पताल में भर्ती कराया गया, जहां वह करीब 30 दिन कोमा में रहा। इसके बाद युवक को होश आ गया था। स्वास्थ्य में पूरी तरह सुधार होने के बाद करीब आठ दिन पहले अस्पताल से युवक की छुट्टी कर दी गई। इस दौरान सुरेश को याद आ गया कि वह ट्रेन से नहीं टकराया था, बल्कि उसे दोस्तों ने मारपीट कर रेलवे ट्रैक पर फेंका था।
दोस्त घर से लेकर गया था
सुरेश ने बताया कि घटना के दिन अंशुल यादव नाम का उसका दोस्त उसे घर लेने आया था। मंडीबामोरा से वह उसे विदिशा जिले की कुरवाई तहसील में आने वाले गुदावल गांव में नवल सिंह कुशवाहा के घर ले गया था। नवल के अलावा पन्ना कुशवाहा भी वहां मौजूद था। शराब के नशे में तीनों ने उसके साथ मारपीट की थी और मरणासन्न हालत में रेलवे ट्रैक पर फेंक दिया था।
अफसर की प्रतिक्रिया
मध्य प्रदेश के जिला विदिशा के थाना कुरवाई के टीआई वीरेंद्र मर्सकोले ने बताया कि घटना के दिन फरियादी सुरेश समेत चारों दोस्तों ने पार्टी की थी। अब सुरेश बता रहा है कि उसे मारपीट कर रेलवे ट्रैक पर फेंका गया था। यदि मारकर फेंकना हो होता तो जिंदा क्यों छोड़ते। इसके बाद भी शिकायत पर घायल के बयान लिए गए हैं। पूरे मामले की जांच चल रही है। मारपीट कर फेंकने की घटना सही पाई जाएगी तो आरोपितों के खिलाफ कार्रवाई होगी।