देश में फिर तेजी से बढ़ रहे कोरोना संक्रमण के मामले असल में इसकी दूसरी लहर के नतीजे हैं। दूसरी लहर मई तक जारी रह सकती है। भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआइ) की रिपोर्ट में बताया गया है कि दूसरी लहर 15 फरवरी से शुरू हुई है और 100 दिनों तक बरकरार रह सकती है। अन्य देशों में कोरोना की दूसरी लहर ज्यादा घातक साबित हुई है, लेकिन भारत के लिए अच्छी बात है कि इसी दौरान यहां टीकाकरण अभियान रफ्तार पकड़ रहा है। संभव है यहां दूसरी लहर का असर अन्य देशों की तरह न रहे। वैक्सीन लेने से हिचकिचा रहे लोगों को एसबीआइ ने यह याद दिलाया है कि टीकाकरण ही कोरोना से बचने का एकमात्र उपाय है। साथ ही उसने सरकार को टीकाकरण की गति बढ़ने के सुझाव भी दिए हैं।
तेज हो टीकाकरण, तभी बनेगी बात: भारत में गत 67 दिनों में कोरोना वैक्सीन के 5.08 करोड़ टीके लगाए गए हैं। एसबीआइ का मानना है कि रोजाना 45 लाख टीके लगाने पर इस साल 21 जुलाई तक देश में 45 साल से अधिक उम्र के सभी व्यक्तियों का टीकाकरण संभव हो सकेगा। स्वास्थ्य क्षेत्र की मौजूदा बुनियादी सुविधाओं को देखते हुए रोजाना एक करोड़ टीके लगाए जा सकते हैं जो अभी मात्र 34 लाख लगाए जा रहे हैं। रोजाना 34 लाख डोज को 40-45 लाख तक ले जाने पर पूरी आबादी के टीकाकरण में 21 महीने लग जाएंगे।
बीएआइ में आई गिरावट: रिपोर्ट के मुताबिक गत 22 मार्च को समाप्त हुए सप्ताह में बिजनेस एक्टिविटी इंडेक्स (बीएआइ) पिछले एक महीने के सबसे निचले स्तर पर पहुंच गया था। इस दौरान बीएआइ 101.7 के स्तर पर आ गया था, जबकि इससे पहले के सप्ताह में 104.6 था। गत फरवरी में आर्थिक गतिविधियों में इजाफा हुआ था। हालांकि कुछ राज्यों में मार्च में जो लॉकडाउन लगाया गया, उसका परिणाम बाद में दिखेगा। रिपोर्ट के मुताबिक, महाराष्ट्र, छत्तीसगढ़ व मध्य प्रदेश जैसे राज्यों की मोबिलिटी में कमी दर्ज की गई। मोबिलिटी में कमी से सेवा क्षेत्र पर विपरीत असर की आशंका रहती है।
सामूहिक टीकाकरण असरदार: एसबीआइ का मानना है कि सामूहिक टीकाकरण से ही कोरोना संक्रमण को रोकने की उम्मीद की जा सकती है। कोरोना से सर्वाधिक प्रभावित महाराष्ट्र व पंजाब में स्थानीय स्तर पर लॉकडाउन हुआ, लेकिन इससे कोरोना वायरस के प्रसार को नहीं रोका जा सका। लॉकडाउन में ढील देते ही कोरोना संक्रमण फिर से फैलने लगा।