देश के विकास में मुस्लिमों की भूमिका पर RSS ने लिखी किताब उर्दू में करेगी अनुवाद

हिंदू राष्ट्र के सिद्धांत पर चलने वाला और भगवा ध्वज की वंदना करने वाला राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ भी देश के निर्माण में मुस्लिमों की भूमिका से इंकार नहीं करता। आरएसएस अपने मन की बात मुस्लिम समुदाय तक पहुंचाने के लिए अब किताबी पन्नों का सहारा लेने जा रहा है। संघ के दृष्टिकोण और देश के विकास में मुस्लिमों की भूमिका को लेकर एक किताब लिखी गई है। संघ चाहता है मुस्लिम समुदाय भी इसे पढ़े और उसकी बात को समझे, लिहाजा इस किताब का उर्दू में अनुवाद किया गया है।

मूल रूप से संघ प्रमुख मोहन भागवत के उद्बोधन पर लिखी गई किताब ‘भविष्य का भारत’ को उर्दू में ‘मुस्तकबिल भारत’ नाम से अनुवाद किया गया हैं। किताब का उर्दू में अनुवाद करने वाले राष्ट्रीय उर्दू भाषा विकास परिषद् (एनसीपीयूएल) के निदेशक अकील अहमद ने मीडिया को बताया कि सितंबर 2018 में विज्ञान भवन में संघ प्रमुख के तीन दिवसीय व्याख्यान श्रृंखला पर ये पुस्तक आधारित है। 98 पेज की इस किताब में आरएसएस की विचारधारा, शाखा और उनके कार्यों के अलावा हिंदुत्व का सही मायने में अर्थ बताते हुए हिन्दुत्व के बारे में विस्तृत जानकारी दी गई है।

सुरुचि प्रकाशन के एमडी रजनीश जिंदल ने मीडिया को बताया, ‘भविष्य का भारत’ पुस्तक को सबसे पहले हिंदी में सुरुचि प्रकाशन ने प्रकाशित किया। इसके बाद कई क्षेत्रीय भाषाओं में भी ये किताब आ चुकी है। हिंदी में 112 पन्नों की इस किताब का मूल्य महज 30 रुपये रखा गया है। ज्यादा लोगों तक संघ की सोच पहुंचाने के लिए इस पुस्तक का उर्दू में अनुवाद किया गया है।

अकील अहमद ने बताया कि इस किताब के जरिए मुसलमानों की शंकाएं और नफरत खत्म होगी। इस पुस्तक में सामाजिक समरसता पर जोर दिया गया है। इससे संवाद होगा और संवाद के द्वारा ही गलतफहमियों को दूर किया जा सकता है। किताब का उर्दू संस्करण पांच अप्रैल को जारी किया जाएगा। पुस्तक का विमोचन संघ के सह सरकार्यवाह डॉ. कृष्णगोपाल और केंद्रीय शिक्षा मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक करेंगे। उर्दू की किताब का मूल्य महज 50 रुपये रखा गया है। यह किताब एनसीपीयूएल ने ही प्रकाशित की है। यह इसके केंद्रों और संबद्ध संस्थानों में उपलब्ध होगी।

राष्ट्रीय उर्दू भाषा विकास परिषद एक स्वायत्त संस्था है जो मानव संसाधन विकास मंत्रालय के माध्यमिक एवं उच्चतर शिक्षा विभाग के तहत काम करती है। सितंबर  2018 में विज्ञान भवन में आयोजित तीन दिवसीय व्याख्यान श्रृंखला में मोहन भागवत ने कहा था कि हम हिंदू राष्ट्र में विश्वास रखते हैं, लेकिन इसका अर्थ ये नहीं है कि हम मुसलमानों के खिलाफ हैं।

उन्होंने कहा, हम वसुधैव कुटुंबकम् में यकीन रखते हैं, जहां सभी धर्म और पंत का स्थान है। हम कहते हैं कि हमारा हिंदू राष्ट्र है। लेकिन इसका मतलब यह कतई नहीं है कि हमें मुसलमान नहीं चाहिए। जिस दिन ये कहा जाएगा कि यहां मुस्लिम नहीं चाहिए, उस दिन वो हिंदुत्व नहीं रहेगा।

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