देवी माँ ने अपना ही सर कर दिया था धड़ से अलग, इस वजह से…

बहुत से लोग माता, देवता की पूजा करते हैं ऐसे में उनसे जुडी कई कहानियां हैं जिनके बारे में आपने सुना और पढ़ा होगा.

ऐसे में आज हम आपको देवी माँ की एक कहानी बताने जा रहे हैं जिसे सुनकर आपके होश उड़ जाएंगे और आप हैरान रह जाएंगे. 

पौराणिक कथा – पौराणिक कथा के अनुसार देवी माँ अपनी दोनों सहचरियों के साथ मन्दाकिनी नदी में स्नान करने के लिए गयी हुई थी. बाद में स्नान करने के बाद माँ को भूख लग गयी जिसकी वजह से उनका रंग काला होता चला गया. इसी समय पर उनकी सहचरियों ने भी माँ से कुछ भोजन माँगा. तभी माँ ने कुछ समय तक प्रतीक्षा करने के लिए कहा पर फिर भी माँ से भोजन की व्यवस्था हुई नहीं, बाद में फिर से उन्होंने माता से भोजन के लिए कहा, फिर से माता ने उन्हें प्रतीक्षा करने के लिए कह दिया. कुछ समय और हुआ और जय और विजया दोनों ने फिर से माता के पास भोजन माँगा और कहा की माँ अपने बच्चों के लिए भूख लगने पर तुरंत ही भोजन का प्रबंध कर लेती है. पर आप है की हमारी उपेक्षा कर रही हो. अब इतना कहने की देरी थी की माता ने तुरंत ही अपने खड़ग से अपना सर कांट दिया. जब उनका सर कटा तो सर उनके बाएं हाथ में जा कर गिरा. अब उनकी गर्दन से रक्त की तिन धाराएं निकलने लगी. इन में से दो धाराएं उनकी सहचरियों के मुह में गिरने लगी और तीसरी स्वयं के कटे मुह में गिरने लगी. तभी से देवी माँ का नाम छिन्नमस्ता पड़ा और इस नाम से ही जानने लगी.

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