दूसरे नेहरू बन रहे हैं अब नरेंद्र मोदी ये है कुछ खास बात...

दूसरे नेहरू बन रहे हैं अब नरेंद्र मोदी ये है कुछ खास बात…

New Delhi :  चीन के सरकारी मीडिया ने मंगलवार को कहा कि अगर भारत डोकलाम विवाद पर चेतावनी को इसी तरह नजरअंदाज करता रहा तो बीजिंग जरूरी जवाबी कदम उठाएगा।दूसरे नेहरू बन रहे हैं अब नरेंद्र मोदी ये है कुछ खास बात...अभी-अभी: सोनिया गांधी के राजनीतिक सचिव पटेल, और बीजेपी के अध्यक्ष की साख लगी…

मीडिया ने यह भी कहा है कि भारत 1962 की जंग का सबक भूल गया है, नेहरू ने चीन को कमतर आंका था, लेकिन मोदी वॉर्निंग नजरअंदाज ना करें। बता दें कि सिक्किम सेक्टर में भूटान ट्राइजंक्शन के पास चीन एक सड़क बनाना चाहता है और भारत इसका विरोध कर रहा है। करीब 2 महीने से इस इलाके में भारत और चीन के सैनिक आमने-सामने हैं। चीन ने भारत से कहा है कि वह इलाके से अपने सैनिकों को तुरंत वापस बुलाए, लेकिन भारत ने इससे इनकार कर दिया है।

 

चीन के सरकारी अखबार ग्लोबल टाइम्स ने अपने एडीटोरियल में कहा, “सिक्किम के डोकलाम में स्थिति बेकाबू हो रही है और अगर नरेंद्र मोदी सरकार इसीतरह हमारी चेतावनी को नजरअंदाज करती रही, तो इलाके पर अपना अधिकार बहाल करने के लिए बीजिंग जरूरी जवाबी कदम उठाएगा।”

अखबार ने चीन को एक ताकतवर पड़ोसी बताते हुए कहा है, “बॉर्डर पर गतिरोध करीब 2 महीने से जारी है। दुनिया ने चीन की शांति और इस मुद्दे की वजहों को उसे समझते हुए देखा है। चीन के लोग जोखिम और अनिश्चितताओं के आदी हैं, उन्हें अपनी सरकार पर भरोसा है कि वह सभी संभव तरीकों से इस संकट को खत्म करेगी।”

 

अखबार के मुताबिक, “बेशक, चीन जंग का खतरा नहीं उठाना चाहता है और उम्मीद करता है कि शांति बहाल हो सकती है, चीन-भारत अच्छी तरह से रह सकते हैं, लेकिन अगर भारतीय सैनिक चीनी जमीन पर लगातार रुके रहे तो ये एक दूसरा मामला होगा।” “भारत ने 1962 में बॉर्डर पर लगातार भड़काऊ गतिविधियां की।

उस वक्त जवाहरलाल नेहरू सरकार ने यह माना था कि चीन हमला नहीं करेगा। नेहरू सरकार ने क्षेत्रीय अखंडता (territorial integrity) की रक्षा के लिए चीन सरकार के दृढ़ संकल्प (determination) को कम करके आंका था क्योंकि बीजिंग घरेलू और कूटनीतिक संकटों में फंसा था। उस वक्त चीन घरेलू अशांति और प्राकृतिक आपदाओं से गुजर रहा था, अमेरिका से उसकी दुश्मनी थी, हालांकि सोवियत संघ के साथ चीन के संबंध ठीक होने शुरू हो गए थे।”

चीनी अखबार के मुताबिक, ” 55 साल बीत चुके हैं, लेकिन भारत सरकार आज भी उतनी ही भोलीभाली बनती है, जितनी पहले कभी यह थी। 1962 की जंग का सबक आधी सदी के लिए आखिरी नहीं था। आमतौर पर, कोई भी सरकार किसी ताकतवर पड़ोसी को अपमानित करने की हिम्मत नहीं करती।

अब सभी भारतीय लोग यह जानते हैं कि उनकी सेना किसी दूसरे देश के क्षेत्र में उलझी हुई है, हालांकि नई दिल्ली का दावा है कि यह चीन और भूटान के बीच एक विवादित क्षेत्र (डोकलाम) है। चूंकि जंग का खतरा बढ़ रहा है, ऐसे में भारतीय जनता की यह साफ राय है कि भारतीय सैनिक चीन की पीपुल्स लिबरेशन आर्मी को नहीं हरा सकते हैं।”

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