दुष्कर्म पीड़िता जहां भी पुलिस को बुलाएगी, वहीं होगी FIR

दुष्कर्म की शिकार पीड़ित महिलाओं को अब रिपोर्ट कराने के लिए पुलिस थाने जाना जरूरी नहीं होगा। दुष्कर्म पीड़िता जहां भी पुलिस को बुलाएगी, वहां उसे पहुंचकर सुनवाई करना होगी और एफआईआर लिखना होगी। एफआईआर लिखते समय यह नहीं देखा जाएगा कि पीड़िता का पूर्व चरित्र कैसा था। अगर कोई पुलिस कर्मचारी पीड़िता की रिपोर्ट नहीं लिखता है तो उसके खिलाफ दंडनीय अपराध का प्रावधान भी किया गया है। यही नहीं, अब पुलिस को इन मामलों की जांच की तीन महीने की जगह दो महीने में ही पूरी करना होगी। देशभर में दुष्कर्म की घटनाएं लगातार बढ़ रही हैं।

राष्ट्रीय अपराध अभिलेख ब्यूरो द्वारा जारी आंकड़ों के मुताबिक देश में 2018 में रोजाना लगभग 91 से ज्यादा महिलाओं के साथ दुष्कर्म की घटनाएं हुईं, जिनमें से अकेले मध्य प्रदेश में करीब 15 महिलाओं को इन घटनाओं में शिकार बनाया गया। देखने में यह भी आता है कि गरीब-कमजोर महिलाओं के साथ होने वाली घटनाओं में दबंगों के आरोपित होने से कुछ महिलाएं रिपोर्ट करने से बचती हैं। दुष्कर्म की घटनाओं और पीड़िताओं को राहत देते हुए सुप्रीम कोर्ट ने दिसंबर 2019 में ऐसे मामलों में नई गाइडलाइन जारी की है।

पीड़िता की असहमति ही पर्याप्त

दुष्कर्म पीड़िता के साथ होने वाली घटना के बाद उसकी असहमति को मान्यता दी गई है। अभी तक पुलिस में दुष्कर्म पिड़ि‍ता के पूर्व संबंधों को ध्यान में रखकर एफआईआर दर्ज करने में देरी की जाती थी, लेकिन पूर्व संबंध होते हुए भी उसकी इच्छा के विरुद्ध गलत काम किया जाता है तो पुलिस को इसमें एफआईआर दर्ज करना पड़ेगा। वहीं, ऐसे मामलों में महिला जजों की अदालतों में कैमरे की मौजूदगी में सुनवाई किए जाने के इंतजाम भी जरूरी किए गए हैं।

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