दुल्हन लेने पहुंचा दूल्हा उफनती नदी को पार कर , जाने कैसे?

दुल्हन लाने के लिए दूल्हे को उफनती कल्पगंगा को पार करना पड़ा। बाराती भी कल्पगंगा नदी को पार कर जोशीमठ के गवाणा अरोसी गांव पहुंचे। गांव में धूमधाम से बारात होने के बाद फिर कल्पगंगा नदी को पार कर बारात वापस जोशीमठ लौटी।

 

दरअसल, 2013 की आपदा में जोशीमठ विकासखंड की उर्गम घाटी में कल्पगंगा पर बनाया गया पुल बह गया था। आज तक इस पुल का निर्माण नहीं हो पाया है। लोक निर्माण विभाग ने छह सालों में दो करोड़ की लागत से बनने वाले 48 मीटर लंबे स्पान के स्टील गार्डर पुल के अभी तक सिर्फ एबेडमेंट ही बनाए हैं। इस पुल से भेंटा, भर्की, पिलखी, ग्वाणा, अरोसी आदि गांवों की आवाजाही होती है। ग्रामीण प्रत्येक साल कच्चा पुल बनाते हैं। मगर बरसात में यह पुल बह जाता है। 

अब ग्रामीण नदी को पार कर ही जान जोखिम में डालकर गांवों तक आवाजाही कर रहे हैं। इन दिनों लगातार बारिश हो रही है। ऐसे में कल्प गंगा का जल स्तर भी बढ़ा हुआ है। परंतु ग्रामीण उफनती कल्पगंगा से ही आवाजाही कर रहे हैं।

जोशीमठ के सुनील गांव के टीबी टावर से जितेंद्र पंवार के पुत्र अनूप पंवार की बारात ग्वाणा अरोसी गांव के लिए रवाना हुई। ग्वाणा अरोसी के अब्बल सिह की पुत्री कविता से उनका विवाह हुआ। जब बारात हेलंग के निकट खबाला में पहुंची तो वहां पर पुल न होने के चलते पहले बाराती और फिर दूल्हा उफनती नदी को पार कर ग्वाणा अरोसी पहुंचे। वहां पर विधि विधान के साथ बारात हुई।

फिर जब खबाला में पहुंचे तो दुल्हन को नदी में हाथ पकड़कर लाया गया। अन्य बाराती व दूल्हा भी फिर से नदी को पार कर वापस लौटे। उर्गम घाटी के देवग्राम निवासी रघुवीर सिंह नेगी का कहना है कि खबाला में पुल निर्माण की मांग छह सालों से की जा रही है। परंतु लोक निर्माण विभाग इस ओर ध्यान नहीं दे रहा है। लोक निर्माण विभाग के अधिशासी अभियंता धन सिंह रावत का कहना है कि ठेकेदार को एक माह के भीतर पुल निर्माण पूरा करने का नोटिस दिया गया है। 

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