दुनिया में लगा सख्त लॉकडाउन : तेल कारोबार पर आया बड़ा संकट

कच्चे तेल के अंतरराष्ट्रीय बाजार में सोमवार सुबह तेज गिरावट देखी गई। जानकारों के मुताबिक यूरोप में कोरोना महामारी के फिर से फैलाव और उसके कारण कई देशों में लागू हुआ सख्त लॉकडाउन इसका प्रमुख कारण है। पहले से ही गंभीर हो चुके तेल कारोबार के संकट पर नई मार पड़ी है।    

एक ताजा रिपोर्ट के मुताबिक अक्तूबर में तेल की कीमतें पांच महीने के सबसे न्यूनतम स्तर पर रहीं। मार्च से विभिन्न देशों में लागू हुए लॉकडाउन के बाद अप्रैल में तेल की कीमत इतिहास के सबसे न्यूनतम स्तर पर पहुंच गई थी। मई से इसमें सुधार के संकेत दिखे थे। लेकिन अक्तूबर में संकट और गहरा गया।

अक्तूबर के आखिरी कारोबारी दिन ये कीमत औसतन 35 डॉलर प्रति बैरल तक गिर गई। तेल कारोबार पर नजर रखने वाली वेबसाइट ऑयलप्राइस.कॉम के मुताबिक फिलहाल इस हाल में सुधार की संभावना नहीं है। इसलिए मुमकिन है कि तेल उत्पादक देशों का संगठन ओपेक अभी जितना तेल उत्पादन कर रहा है, हो सकता है साल 2021 तक इसमें भी कटौती करनी पड़े।
विशेषज्ञों के मुताबिक कच्चे तेल के बाजार में मंदी के कारण इस साल निवेश लगभग 35 फीसदी घट गया है।

इससे जो मार पड़ी है, उससे तेल उद्योग आने वाले कई वर्षों तक नहीं निकल पाएगा। पेरिस स्थित संस्था इंटरनेशनल एनर्जी एजेंसी (आईईए) ने कुछ रोज पहले विश्व ऊर्जा निवेश रिपोर्ट प्रकाशित की थी।

उसके मुताबिक तेल और गैस क्षेत्र में निवेश में कटौती फिलहाल एक स्थायी रुझान बन गया है। महामारी ने संकट को और ज्यादा गंभीर जरूर बना दिया है, लेकिन आईईए के मुताबिक संकट के लक्षण पहले से दिख रहे थे।

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