114 अरब के घोटाले में आरोपी नीरव मोदी की फ्लैगशिप कंपनी फायर स्टार इंटरनेशनल लिमिटेड पिछले साल दिसंबर में आईपीओलाने की तैयारी में थी। इसके लिए कंपनी के शेयरहोल्डर्स ने प्राइवेट कंपनी को पब्लिक कंपनी में बदलने की मंजूरी दे दी थी। कंपनी का मानना था कि शेयर बाजार में लिस्टिंग के बाद कंपनी को मार्केट से पैसा उगाहने में आसानी होगी। हालांकि इस घोटाले में नीरव मोदी की बहन भी जांच के घेरे में आ गई है। 8 दिसंबर को हुई थी मीटिंग
शेयर बाजार में आईपीओ लाने के लिए कंपनी के बोर्ड की 8 दिसंबर को ईजीएम हुई थी, जिसमें शेयर होल्डर्स से कंपनी का नाम बदलने पर भी मंजूरी ली गई थी। कंपनी का नाम फायरस्टार इंटरनेशनल प्राइवेट लिमिटेड से बदलकर फायरस्टार इंटरनेशनल लिमिटेड करने का प्रस्ताव पास हुआ था। इसके अलावा कंपनी के एमओयू और आर्टिकल ऑफ एसोसिएशन में भी संशोधन किया गया था।
शेयर बाजार में आईपीओ लाने के लिए कंपनी के बोर्ड की 8 दिसंबर को ईजीएम हुई थी, जिसमें शेयर होल्डर्स से कंपनी का नाम बदलने पर भी मंजूरी ली गई थी। कंपनी का नाम फायरस्टार इंटरनेशनल प्राइवेट लिमिटेड से बदलकर फायरस्टार इंटरनेशनल लिमिटेड करने का प्रस्ताव पास हुआ था। इसके अलावा कंपनी के एमओयू और आर्टिकल ऑफ एसोसिएशन में भी संशोधन किया गया था।
शेयर बाजार में निवेशकों को लगता चूना
अगर नीरव मोदी की कंपनी दिसंबर में अपना आईपीओ ला देती और बाद में घोटाले का पता चलता तो फिर निवेशकों को करोड़ों रुपये का नुकसान उठाना पड़ता। ऐसा इसलिए क्योंकि नीरव मोदी का ब्रांड नेम काफी बड़ा है और काफी लोग इसकी कंपनी के आईपीओ में निवेश कर सकते थे।