इसके लिए प्रत्येक विधानसभा में चुनावी खर्चों की सीमा तय कर दी गई है। प्रत्येक विधानसभा क्षेत्र में उम्मीदवार 40 लाख रुपये से ज्यादा नहीं खर्च कर सकेगा। उम्मीदवार को हर दिन के खर्चे का हिसाब रखना होगा।
राजधानी की 70 विधानसभा सीटों पर पांच फरवरी को मतदान होगा। इसके लिए प्रत्येक विधानसभा में चुनावी खर्चों की सीमा तय कर दी गई है। प्रत्येक विधानसभा क्षेत्र में उम्मीदवार 40 लाख रुपये से ज्यादा नहीं खर्च कर सकेगा। उम्मीदवार को हर दिन के खर्चे का हिसाब रखना होगा। साथ ही, मुख्य निर्वाचन अधिकारी कार्यालय (सीईओ) में जमा भी करना होगा। वहीं, सीईओ की तरफ से खर्चों पर निगरानी के लिए टीम गठित कर दी गई है।
वर्ष 2020 के विधानसभा चुनाव में चुनावी खर्च 28 लाख था। इस बार चुनाव आयोग ने खर्च सीमा 12 लाख रुपये बढ़ा दी है। उम्मीदवार को अपने चुनावी खर्चों का पूरा लेखा-जोखा रखना होगा जिसके लिए अलग से बैंक खाता खुलवाना होगा। मुख्य निर्वाचन अधिकारी कार्यालय के अधिकारी के मुताबिक, 10 जनवरी से सभी 70 विधानसभा क्षेत्रों के लिए नामांकन पत्र दाखिल करने की प्रक्रिया शुरू होगी। 17 जनवरी को नामांकन की आखिरी तारीख है। वहीं, 18 जनवरी को नामांकन पत्रों की जांच की जाएगी। 20 जनवरी को नाम वापस लिए जा सकते हैं। इसी दिन विधानसभा क्षेत्र के उम्मीदवारों को चुनाव चिह्न आवंटित होंगे। तीन फरवरी की शाम पांच बजे चुनाव प्रचार समाप्त होगा। आठ फरवरी को परिणाम घोषित किए जाएंगे।
राजनीतिक दलों के प्रतिनिधियों से मिली सीईओ
चुनाव को लेकर दिल्ली की मुख्य निर्वाचन अधिकारी (सीईओ) आर एलिस वाज ने बुधवार को राष्ट्रीय और राज्य मान्यता प्राप्त राजनीतिक दलों के प्रतिनिधियों के साथ बैठक की। बैठक में स्वतंत्र, निष्पक्ष और पारदर्शी चुनाव सुनिश्चित करने के लिए आदर्श आचार संहिता (एमसीसी) और चुनाव व्यय निगरानी उपायों के कार्यान्वयन पर जानकारी दी गई। इसमें आम आदमी पार्टी (आप), बहुजन समाज पार्टी (दिल्ली प्रदेश), भारतीय जनता पार्टी (दिल्ली प्रदेश), भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (सीपीआई) (मार्क्सवादी), भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस (दिल्ली राज्य), नेशनल पीपुल्स पार्टी (एनपीपी) के प्रतिनिधियों ने भाग लिया।
इस दौरान मुख्य निर्वाचन अधिकारी ने आदर्श आचार संहिता के पालन के महत्व पर जोर दिया। उन्होंने राजनीतिक अभियानों, नैतिक प्रथाओं और चुनावी प्रक्रिया को बाधित करने वाली गतिविधियों के निषेध के लिए प्रमुख दिशा-निर्देशों पर प्रकाश डाला। सीईओ ने चुनाव व्यय की निगरानी के उपायों को भी रेखांकित किया, जिसमें व्यय पर्यवेक्षकों की नियुक्ति, निगरानी टीम और उल्लंघन पर नजर रखने के लिए नियंत्रण कक्षों की स्थापना शामिल है। उन्होंने राजनीतिक दलों से अभियान के वित्त में पारदर्शिता बनाए रखने और निर्धारित समयसीमा के भीतर व्यय विवरण प्रस्तुत करने का आग्रह किया गया।