इस योजना पर करीब 85 करोड़ रुपये खर्च होंगे। एमसीडी आयुक्त ने इसके लिए प्रस्ताव तैयार कर लिया है। इसे एमसीडी सदन की अगली बैठक में प्रस्तुत किया जाएगा। सदन की स्वीकृति मिलने के बाद सैनेटरी लैंडफिल बनाने की प्रक्रिया शुरू होगी।
सुल्तानपुर डबास में 50 एकड़ जमीन पर सैनेटरी लैंडफिल बनेगा। इस योजना पर करीब 85 करोड़ रुपये खर्च होंगे। एमसीडी आयुक्त ने इसके लिए प्रस्ताव तैयार कर लिया है। इसे एमसीडी सदन की अगली बैठक में प्रस्तुत किया जाएगा। सदन की स्वीकृति मिलने के बाद सैनेटरी लैंडफिल बनाने की प्रक्रिया शुरू होगी।
एमसीडी आयुक्त ने प्रस्ताव के तहत सदन से सुल्तानपुर डबास में आवंटित भूमि पर सैनेटरी लैंडफिल बनाने की स्वीकृति मांगी है। इसके अलावा उन्होंने योजना पर खर्च होने वाले 85 करोड़ रुपये व्यय की मंजूरी देने का आग्रह किया है। दरअसल, सुल्तानपुर डबास में सैनेटरी लैंडफिल बनाने के लिए मिली भूमि से बड़ी संख्या में पेड़ हटाने पड़ेेंगे। लिहाजा एमसीडी को इनमें से कुछ पेड़ स्थानांतरित करने और पौधे लगाने के लिए भूमि देनी है। आयुक्त ने सैनेटरी लैंडफिल बनाने के लिए परामर्शदाता की ओर से तैयार किए जाने वाले टेंडर को अंतिम रूप देने के लिए भी स्वीकृति मांगी है |
एमसीडी के अनुसार 10 अक्तूबर, 2018 को उसे ठोस कचरा प्रबंधन सुविधा की स्थापना के लिए गांव सुल्तानपुर डबास में ग्रामसभा की 49 एकड़, 03 बीघा एवं 19 बिस्वा भूमि आवंटित की गई थी। मगर अभी तक यहां सैनेटरी लैंडफिल बनाने की कवायद आरंभ नहीं हुई थी। अब एमसीडी ने सैनेटरी लैंडफिल बनाने की प्रक्रिया आरंभ कर दी है। उम्मीद है कि यहां पर अगले साल सैनेटरी लैंडफिल बनकर तैयार हो जाएगा। यहां नरेला-बवाना सहित अन्य स्थानों पर कूड़े से बिजली बनाने के संयंत्रों से निकलने वाले अपशिष्ट का निपटान किया जाएगा।
कूड़े सेे बिजली बनाने के लगे हैं चार संयंत्र
एमसीडी ने तेहखंड, नरेला-बवाना, गाजीपुर व ओखला में कूड़े से बिजली बनाने वाले संयंत्र लगा रखे हैं। अन्य स्थानों पर भी ऐसे संयंत्र लगाने की योजना है। दरअसल राजधानी में प्रतिदिन करीब 11 हजार मीट्रिक टन कूड़ा निकलता है और उसमें से बहुत कम कूड़े का बिजली बनाने में उपयोग हो रहा है। इस कारण अधिकतर कूड़ा नरेला-बवाना, गाजीपुर, ओखला व भलस्वा स्थित सैनेटरी लैंडफिल (ढलाव) में डाला जाता है और भलस्वा, गाजीपुर व ओखला में कूड़े के ढेरों ने पहाड़ों का रूप ले लिया है।
दिल्ली में होगा दूसरा सैनेटरी लैंडफिल
सुल्तानपुर डबास गांव से पहले इस तरह का सैनेटरी लैंडफिल तेहखंड में बनाया गया था। जिसे इस साल की शुरूआत में चालू कर दिया गया है। इस सैनेटरी लैंडफिल को इंजीनियरिंग सैनेटरी लैंडफिल भी कहा जाता है। दरअसल, सैनेटरी लैंडफिल बनाने के दौरान जमीन पर कैमिकल की मोटी परत बिछाई जाती है। इस कारण कचरे से निकलने वाला गंदा पानी जमीन में नहीं जाता है।
ग्रामीणों के विरोध के बाद नहीं लगा कूड़ा डालने का कम्पैक्टर
मुबारकपुर डबास गांव में एमसीडी की ओर से कूड़ा डालने का कम्पैक्टर लगाने का ग्रामीणों ने विरोध किया। उपराज्यपाल के हस्तक्षेप के बाद कम्पैक्टर लगाने का निर्णय वापस हो गया। एमसीडी के अधिकारी पुलिस बल के साथ बुधवार सुबह मुबारकपुर डबास में पहुंचे थे। विरोध में ग्रामीण धरने पर बैठ गए। उधर पुलिस अधिकारियों ने ग्रामीणों को शांत कराने का प्रयास किया। इस बीच मामले से उपराज्यपाल को अवगत कराया गया। इस मौके पर विजेंद्र सिंह डबास, पार्षद गजेंद्र दराल, पुष्पराज व रोहतास सिंह मौजूद रहे।