यूनिवर्सिटी ऑफ रीडिंग से जुड़े शोधकर्ताओं के नेतृत्व में किए एक नए अध्ययन से पता चला है कि दिल्ली के इंदिरा गांधी इंटरनेशनल एयरपोर्ट पर आने वाले विमान बड़े पैमाने पर धूल निगल रहे हैं जो समय के साथ उनके इंजन में जमा हो रही है और उन्हें गंभीर रूप से नुकसान पहुंचा सकती है।
दिल्ली में धूल भरे प्रदूषण से विमानों के इंजन भी सुरक्षित नहीं हैं। यूनिवर्सिटी ऑफ रीडिंग से जुड़े शोधकर्ताओं के नेतृत्व में किए एक नए अध्ययन से पता चला है कि दिल्ली के इंदिरा गांधी इंटरनेशनल एयरपोर्ट पर आने वाले विमान बड़े पैमाने पर धूल निगल रहे हैं जो समय के साथ उनके इंजन में जमा हो रही है और उन्हें गंभीर रूप से नुकसान पहुंचा सकती है।
शोधकर्ताओं के अनुसार गर्मियों में दिल्ली एयरपोर्ट पर उतरने और प्रस्थान करने वाले विमानों के इंजन इससे प्रभावित हो रहे हैं। इस दौरान में करीब 10 ग्राम धूल निगल लेते हैं। इस अध्ययन के नतीजे जर्नल नेचुरल हैजर्ड्स एंड अर्थ सिस्टम साइंसेज में नौ जुलाई 2024 को प्रकाशित हुए हैं।
प्रति 1,000 उड़ानों में विमान औसतन 10 किलोग्राम धूल निगल लेते हैं
इस नए अध्ययन में शोधकर्ताओं ने रेगिस्तानी क्षेत्रों या धूल भरी मौसमी आंधियों से प्रभावित क्षेत्रों में दस प्रमुख अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डों पर विमानों के इंजन कितनी रेत और धूल निगल रहे हैं इसका आकलन किया है। शोधकर्ताओं का कहना है कि दुनिया के सबसे व्यस्त हवाई अड्डों में से एक दिल्ली के इंदिरा गांधी इंटरनेशनल एयरपोर्ट पर पहुंचने वाले विमान प्रति 1,000 उड़ानों के हिसाब से औसतन 10 किलोग्राम धूल निगल लेते हैं। इस दौरान ज्यादातर धूल उतरने का इन्तजार करते समय विमानों के इंजन में प्रवेश करती है।
इसलिए है खतरनाक
उड़ान विशेषज्ञों के अनुसार आधुनिक जेट इंजन के कोर के लिए धूल की यह मात्रा मामूली लग सकती है, लेकिन यह तब खतरनाक हो जाती है जब इन जहाजों को बार-बार इस धूल का सामना करना पड़ता है। विशेष रूप से यह उन एयरलाइनों के लिए ज्यादा खतरनाक है जो हब के रूप में धूल भरे हवाई अड्डों पर एयरलाइन चलाती हैं। ऐसे हवाई अड्डों पर 1,000 से अधिक लैंडिंग और टेकऑफ के इंजन में करीब 10 किलोग्राम धूल जमा होती है।यह समय के साथ बड़ी समस्या बन सकती है।
शुष्क और गर्म परिस्थितियों के दौरान जमती है ज्यादा धूल
धूल की इस मात्रा की गणना के लिए शोधकर्ताओं ने यूरोपियन सेंटर फॉर मीडियम रेंज वेदर फॉरकास्टिंग (ईसीएमडब्ल्यूएफ) के वायुमंडलीय आंकड़ों और कैलिप्सो उपग्रह से प्राप्त डेटा का उपयोग किया है। इसके अनुसार उत्तर भारत, सहारा रेगिस्तान और मध्य पूर्व के हवाई अड्डों पर शुष्क और गर्म परिस्थितियों के दौरान जब धूल भरी आंधी चलती है तो विमानों के इंजन में सबसे अधिक धूल जमती है।
उड़ान के शेड्यूल में बदलाव करके धूल से बचा जा सकता है
शोधकर्ताओं ने अपने निष्कर्ष में यह भी सुझाव दिया है कि धूल के दौरान उड़ान के शेड्यूल में बदलाव करके इसके संपर्क में आने से बचा जा सकता है। उदाहरण के लिए दिल्ली और दुबई की उड़ानों को रात के समय करने से इंजन में धूल के प्रवेश को 30 फीसदी से अधिक कम किया जा सकता है।
दिल्ली नंबर एक
शोधकर्ताओं का कहना है कि अध्ययन किए गए दस प्रमुख अंतराष्ट्रीय हवाई अड्डों में विमानों के इंजन में जमा होने वाली धूल के मामले में दिल्ली पहले स्थान पर है। इसके बाद नाइजर के नियामी और दुबई एयरपोर्ट का स्थान है। दिल्ली में गर्मियों के दौरान उतरने वाले हर विमान का इंजन औसतन 6.6 ग्राम धूल निगल लेता है, जबकि उसकी वापसी की उड़ान के समय धूल की यह मात्रा 4.4 ग्राम रही। नाइजर के नियामी में धूल का यह आंकड़ा 4.7 ग्राम दर्ज किया गया।