वकीलों ने सीजेआई को लिखे पत्र में कहा कि दिल्ली हाईकोर्ट के न्यायाधीश सुधीर कुमार जैन को मनी लॉन्ड्रिंग के एक मामले में अरविंद केजरीवाल को बेल दिए जाने के खिलाफ ईडी की अपील पर सुनवाई से खुद को अलग कर लेना चाहिए था, क्योंकि जज के भाई जांच एजेंसी के वकील हैं।
सुप्रीम कोर्ट, उच्च न्यायालय, राउज एवेन्यू कोर्ट और अन्य जिला न्यायालयों में वकालत कर रहे 157 वकीलों ने मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ को पत्र लिखा है। गुरुवार को लिखे गए इस पत्र में न्यायालयों में देखी जा रही अभूतपूर्व प्रथाओं के बारे में अपनी गहरी चिंता व्यक्त की गई है।
सुप्रीम कोर्ट के वकील बलराज सिंह मलिक ने आरोप लगाते हुए लिखा है कि अदालतों में आरोपियों को जमानत नहीं दी जा रही है, जबकि ये उनका हक है। देश के लोग बड़ी उम्मीद और भरोसे के साथ अदालतों का रुख करते हैं। न्यायपालिका और कानूनी समुदाय को इसी भरोसे को कायम रखना चाहिए। इसी संदर्भ में वह अपनी चिंताओं को साझा करते हैं और उम्मीद करते हैं कि इसे जल्द ही दूर किया जाएगा।
उन्होंने केजरीवाल को आबकारी नीति मामले में हाईकोर्ट की ओर से नियमि जमानत पर रोक लगाए जाने को लेकर चिंता व्यक्त की है। उन्होंने कहा कि दिल्ली हाईकोर्ट के न्यायाधीश सुधीर कुमार जैन को मनी लॉन्ड्रिंग के एक मामले में अरविंद केजरीवाल को बेल दिए जाने के खिलाफ ईडी की अपील पर सुनवाई से खुद को अलग कर लेना चाहिए था, क्योंकि जज के भाई जांच एजेंसी के वकील हैं।
वकीलों ने दावा किया कि जस्टिस सुधीर कुमार जैन के सगे भाई अनुराग जैन ईडी के वकील हैं और हितों के इस स्पष्ट टकराव की कभी घोषणा नहीं की गई। हालांकि, सूत्रों ने बताया कि वकील अनुराग जैन आबकारी नीति घोटाले से संबंधित धन शोधन के किसी भी मामले को नहीं देख रहे हैं।
दिल्ली शराब नीति से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग के मामले में सीएम केजरीवाल को 21 मार्च को ईडी ने गिरफ्तार किया था। 20 जून को केजरीवाल को राउस एवेन्यू कोर्ट ने जमानत दी थी। जिसके बाद ईडी ने केजरीवाल की जमानत को दिल्ली हाईकोर्ट में चुनौती दी। 25 जून को दिल्ली हाई कोर्ट ने उस पर रोक लगा दी थी। जिसके बाद 26 जून को सीबीआई ने केजरीवाल को गिरफ्तार कर लिया था। जिसके बाद 29 जून तक केजरीवाल को सीबीआई हिरासत में भेज दिया था। 29 जून को केजरीवाल को 12 जुलाई तक न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया था।