दिल्ली राज्य कैंसर संस्थान में हर माह आ रहे कैंसर के 1000 मरीज

डॉ. राहुल अग्रवाल का कहना है कि विभाग में हर माह सिर और गर्दन के कैंसर के मरीजों की संख्या बढ़ रही है। ओरल कैंसर का सबसे आम इलाज कीमो और रेडिएशन थेरेपी, सर्जरी व अन्य हैं। अगर मरीज जल्दी आता है तो अकेले सर्जरी से ही ओरल कैंसर का अच्छा इलाज हो सकता है।

तंबाकू के सेवन से कैंसर हो सकता है। इसकी जानकारी होने पर भी हर माह सिर-गर्दन पर कैंसर का बोझ बढ़ रहा है। दिल्ली राज्य कैंसर संस्थान में बीते कुछ वर्षों से ऐसे मरीजों का आंकड़ा लगातार बढ़ा है।

विशेषज्ञों का कहना है कि यह पुरुषों में होने वाला सबसे आम कैंसर है। वहीं, पुरुषों और महिलाओं में होने वाले शीर्ष 5 प्रमुख कैंसर में से एक है। इस कैंसर की रोकथाम के लिए पर्याप्त जागरूकता की जा रही है। बावजूद इसके यह कम नहीं हो रहा है।

ज्यादातर मरीज स्थिति गंभीर होने के बाद अस्पताल पहुंचते हैं। पूर्वी दिल्ली स्थित दिल्ली राज्य कैंसर संस्थान में हर माह 800 से एक हजार सिर और गर्दन के कैंसर के मरीज पहुंच रहे हैं। दिल्ली राज्य कैंसर संस्थान में हेड एंड नेक सर्जिकल ऑन्कोलॉजी विभाग के सहायक प्रोफेसर डॉ. राहुल अग्रवाल का कहना है कि विभाग में हर माह सिर और गर्दन के कैंसर के मरीजों की संख्या बढ़ रही है। ओरल कैंसर का सबसे आम इलाज कीमो और रेडिएशन थेरेपी, सर्जरी व अन्य हैं। अगर मरीज जल्दी आता है तो अकेले सर्जरी से ही ओरल कैंसर का अच्छा इलाज हो सकता है।

मध्यम और निम्न वर्ग की आबादी को कर रहा प्रभावित
सिर और गर्दन का कैंसर मुख्य रूप से मध्यम व निम्न वर्ग की आबादी को प्रभावित कर रहा है। इस रोग से पीड़ित होकर अस्पताल में आने वाले ज्यादातर मरीज मजदूर, ड्राइवर, दर्जी सहित अन्य काम करने वाले व्यक्ति हैं। काउंसलिंग के दौरान मरीज बताते हैं कि अक्सर ये लोग तंबाकू उत्पाद को मुंह में रखते हैं। इस कारण इन लोगों में यह समस्या ज्यादा है।

पिता की गलती से बेटी को कैंसर
डॉ. अग्रवाल का कहना है कि उन्होंने एक 14 साल की लड़की का इलाज किया। यह मरीज उनके कॅरिअर की सबसे कम उम्र की ओरल कैंसर की मरीज थी। इसमें कैंसर के लिए तंबाकू कारण बना। जांच के दौरान पता चला कि उसके पिता ने पान मसाला थूका। बच्ची ने गलती से उसे उठाकर अपने मुंह में रख लिया। वह लगातार ऐसा करने लगी। लंबे समय तक ऐसी स्थिति से उसे कैंसर हो गया।

शराब के सेवन से परेशानी
सिर और गर्दन के कैंसर के लिए दूसरा सबसे आम कारण शराब है। इसके कारण मुंह, गले, पेट, और गले की नलिका (एसोफेगस) में कैंसर हो सकता है। शराब के सेवन से इन भागों की कोशिकाओं को नुकसान पहुंचता है। लंबे समय के बाद यह कैंसर में बदल सकता है।

सिर व गर्दन के कैंसर के मरीजों में दिखते हैं लक्षण
अल्सर ठीक न होना
लंबे समय तक कान में दर्द होना
मुंह में खुरदरापन
निगलने में दर्द
आवाज में बदलाव
सांस लेने में कठिनाई

तंबाकू से हो सकते हैं ये कैंसर
तंबाकू से : जीभ, गाल, जबड़ा और होंठ
धूम्रपान से : स्वरयंत्र और भोजन नली का कैंसर

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