नागरिकता संशोधन कानून के विरोध और समर्थन के नाम पर देश की राजधानी दिल्ली में जो कुछ हुआ उसका दर्द आम लोगों को जिंदगीभर सालता रहेगा। बीते तीन दिनों में हुए उपद्रव और आगजनी ने कई घरों की खुशियों को भी जैसे आग के हवाले कर दिया है।
सादी जिंदगी गुजर बसर करने वाले कुछ लोगों का एक पल में ही सबकुछ लुट गया और अब वह सड़कों पर आ गए हैं। किसी ने हिंसा के इस दौर में अपनों को खो दिया है जिसका दर्द उन्हें वक्त बेवक्त सालता रहेगा। दिल्ली के दंगों की आग में ऐसे ही एक शख्स की खुशियां झुलस गई हैं जो स्टेशनरी की दुकान के जरिये अपना घर चलाते थे।
दिल्ली के नॉर्थ ईस्ट इलाके में स्टेशनरी की दुकान चलाने वाले यतेंद्र कुमार शर्मा ने कभी सपने में भी नहीं सोचा था कि बीते तीन दिन उनकी पूरी जिंदगी बदलकर रख देंगे। नागरिकता कानून के नाम पर भड़की हिंसा ने उनका सबकुछ बर्बाद कर दिया।
दिल्ली में उपद्रव की घटनाओं की जानकारी लगने पर यतेंद्र कुमार अपनी पत्नी कुसुम शर्मा के साथ शिव विहार में रहने वाले अपने एक रिश्तेदार के घर चले गए थे। उनके घर से लगी हुई स्टेशनरी की दुकान भी है जिसका वे खुद ही संचालन भी करते हैं।
उनके जाने के बाद उपद्रवियों द्वारा उनकी दुकान और मकान में आग लगा दी गई जिसमें उनका सबकुछ जलकर खाक हो गया। घर में एक पर्स मिला जिसमें उन्हें 3 रुपए मिले। इस घटना के बाद जैसे यतेंद्र और उनके परिवार पर दुखों का पहाड़ टूट गया है।
यतेंद्र कहते हैं कि इस 3 रुपए में तो एक वक्त की रोटी भी नहीं आएगी, ऐसे में अब आगे के भविष्य को लेकर उनकी चिंता साफ झलकती है।