राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली के बिजली उपभोक्ताओं को दिल्ली विद्युत विनियामक आयोग (डीईआरसी) ने बड़ी राहत दी है। डीईआरसी ने बिजली की फिक्स दरों में भारी कटौती की है। दो किलो वाट तक (प्रति माह) अब सिर्फ 20 रुपये ही देने पड़ेंगे, जबकि इसके लिए पहले उपभोक्ताओं को 125 रुपये देने पड़ते थे।
इसी तरह तीन से पांच किलोवाट की खपत पर लोगों को 50 रुपये देने पड़ेंगे। पहले दो से पांच किलोवाट (प्रति माह) बिजली की खपत पर 140 रुपये देने पड़ते थे। इसके अलावा छह से 15 किलोवाट तक 175 रुपये प्रति किलोवाट की जगह 100 रूपये प्रति किलोवाट स्थायी शुल्क लिया जाएगा।
एक अगस्त से नई दरें लागू
दिल्ली में बिजली की नई दरें एक अगस्त से लागू होंगी। ई वाहन को बढ़ावा देने के लिए चार्जिंग शुल्क में भी कमी की गई है। 5.50 रुपये प्रति यूनिट की जगह 4.50 रुपये प्रति यूनिट के हिसाब से बिजली शुल्क लिया जाएगा।
डीईआरसी ने की थी जनसुनवाई
इससे पहले दस जुलाई को बिजली की दरें निर्धारित करने के लिए दिल्ली विद्युत विनियामक आयोग (डीईआरसी) ने लोधी रोड स्थित स्कोप कंवेंशन सेंटर के सभागार में जनसुनवाई की थी। बिजली दरों की समीक्षा के बाद डीईआरसी ने स्थायी शुल्क कम करने की घोषणा की है।
राजाधानी में दिल्ली विद्युत विनियामक आयोग (डीईआरसी) तय करता है। बिजली कंपनियों के वार्षिक खर्च व उनकी मांगों को अपनी वेबसाइट पर पेश करने के साथ ही डीईआरसी ने लोगों से आपत्ति और सुझाव मांगे थे। बिजली वितरण कंपनियां (डिस्कॉम) घाटे का हवाला देकर बिजली की दरें बढ़ाने की मांग कर रही थी।
विपक्ष और आम लोगों ने किया था विरोध
जनसुनवाई के दौरान दिल्ली विधानसभा के नेता प्रतिपक्ष विजेंद्र गुप्ता का कहना था कि पिछले वर्ष जारी टैरिफ में स्थायी शुल्क में बढोतरी कर उपभोक्ताओं पर आर्थिक बोझ बढ़ा दिया गया है। जबकि मुख्यमंत्री केजरीवाल ने उपभोक्ताओं को स्थायी शुल्क से राहत दिलाने का वादा किया था। दिल्ली सरकार की मिली भगत से स्थायी शुल्क बढ़ाने के साथ व पेंशन शुल्क भी उपभोक्ताओं से वसूला जा रहा है।
ये कंपनियां देती हैं बिजली
बांबे सबअर्बन इलेक्ट्रिसिटी सप्लाई की दोनों कंपनियां बीएसईएस यमुना पावर लिमिटेड और बीएसईएस राजधानी पावर लिमिटेड (बीआरपीएल) पूर्वी दिल्ली, दक्षिणी दिल्ली, मध्य दिल्ली, पश्चिमी दिल्ली के 42 लाख उपभोक्ताओं को बिजली पहुंचाती है। टाटा पावर दिल्ली डिस्ट्रिब्यूशन लिमिटेड (टीपीडीडीएल) उत्तर दिल्ली और उत्तर पश्चिमी दिल्ली के 16.4 लाख उपभोक्ताओं को बिजली पहुंचाती है।
दिल्ली में विधानसभा चुनाव से पहले बिजली उपभोक्ताओं को बड़ी राहत मिली है। बिजली के दाम कम होने से जहां लोगों को फायदा होगा वहीं राजनीतिक पार्टियां इस मुद्दे को भुना सकती हैं।