‘दिल्ली में डेढ़ महीने से प्रोग्रेस ठीक चल रही है अब सूबे में कोरोना की रफ्तार धीमी पड़ी है: स्वास्थ्य मंत्री सत्येंद्र जैन

दिल्ली के स्वास्थ्य मंत्री सत्येंद्र जैन ने बताया कि अब सूबे में कोरोना की रफ्तार धीमी पड़ी है. सत्येंद्र जैन ने कहा, ‘दिल्ली में 1142 नए केस सामने आए हैं. अब तक कुल 1,29,531 केस की पुष्टि हुई है. वहीं, 2137 लोग ठीक हुए हैं जो एक तरीके से दोगुना है. दिल्ली में 12 हजार 657 एक्टिव केस हैं.’

स्वास्थ्य मंत्री ने आगे बताया, ‘दिल्ली में डेढ़ महीने से प्रोग्रेस ठीक चल रही है. पॉजिटिविटी रेट भी 5% रह गया है. एक समय में 30% से भी ज्यादा पॉजिटिविटी रेट था. देश का पॉजिटिविटी रेट 10% से ज्यादा है और दिल्ली में 5% के करीब है. जब दिल्ली में 30% था, उस समय देश मे 3-4% होता था.

एक्टिव केस की जानकारी देने के बाद सत्येंद्र जैन ने कहा, ‘दिल्ली में एक्टिव केस कम हुए हैं. लेकिन हमें सतर्क रहने की जरूरत है, ढिलाई नहीं बरत सकते. अगर केयर नहीं करेंगे तो बचाव मुश्किल होगा. दिल्ली सरकार ने कई प्रयास किए हैं. होम आइसोलेशन को मैनेज किया.’

होम आइसोलेशन में पूरे इलाज को गिनवाते हुए जैन ने कहा, ‘मरीजों को पल्स ऑक्सीमीटर दिए गए, ये बहुत बड़ी राहत की चीज थी कि अपना ऑक्सीजन लेवल खुद से चेक कर सकते हैं. अगर ऑक्सीजन लेवल 90 से नीचे आए तो आप अस्पताल चले जाइए. अस्पतालों में बेड्स के इंतजाम किए गए. आज अस्पतालों में सिर्फ 18% बेड पर मरीज हैं. लोगों को तसल्ली है कि घर पर हूं अगर तबीयत खराब हुई तो अस्पताल चले जाएंगे. बेड मिल जाएगा. जनता का मीडिया ने फीडबैक लिया और हमने चीजों को ठीक किया.’

दिल्ली में मरीजों के कम होने का क्रेडिट लेने के सवाल पर सत्येंद्र जैन ने कहा, ‘क्रेडिट कोई भी ले इससे क्या फर्क पड़ता है. मैं तो कहता हूं कि दिल्ली बिल्कुल ठीक हो जाए और 100% क्रेडिट उनका.’

रैपिड टेस्टिंग पर सत्येंद्र जैन ने कहा, ‘रैपिड में जो पॉजिटिव आते हैं वो कंफर्म पॉजिटिव हैं. उसमें कोई गलत पॉजिटिव नहीं है. जो निगेटिव हैं उनमें से जिनमें लक्षण हैं उनका RT-PCR टेस्ट तुरंत किया जाता है. अब विज्ञान के हिसाब से RT-PCR में भी कुछ लोग रह जाते हैं, 100% नहीं निकल पाते. गलत पॉजिटिव नहीं होते, गलत निगेटिव उसमें भी आते हैं.

दिल्ली की स्थिति कैसे बेहतर हो रही है? स्वास्थ्य मंत्री ने कहा, ‘सबसे बड़ा सूचक है हॉस्पिटल. जो बीमार होगा अस्पताल पहुंचेगा. हॉस्पिटल में बेड पर लेटे हुए मरीजों की संख्या जो एक महीना पहले थी उससे अब आधी भी नहीं है. ये एक बड़ा सूचक है. टेस्टिंग सूचक नहीं है, अगर आपको लक्षण हैं. हमने कहा है- अस्पताल में जाइए आपको एडमिट कर लिया जाएगा.’

कंटेनमेंट जोन क्यों बढ़ रहे हैं तो जैन बोले- वो नियम के हिसाब से बढ़ रहे हैं. कई जगह पर 2 या 3 केस भी होते हैं तो उन्हें कंटेनमेंट जोन बना दिया जाता है. आशा वर्कर द्वारा वेतन बढ़ाने की मांग को लेकर सत्येंद्र जैन ने कहा, ‘उनका सेटलमेंट हो गया है, परसों में मेरे पास आए थे बात हो गई है. वो काम पर लौट आए हैं. इंसेंटिव वगैरह ठीक कर दिया है.’ बकौल सत्येंद्र जैन, पूरी कोशिश है. रोजाना जो मौतें हो रही हैं उनमें जो काफी समय से एडमिट मरीज हैं उनकी भी मौत हो रही है. जरूरी नहीं कि जो नए मरीज एडमिट हो रहे हैं उनकी ही मौत हो रही है.

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