दिल्ली में कोरोना के मरीजों और उससे होने वाली मौत में तेजी ने केंद्र सरकार की चिंता बढ़ा दी है। केंद्रीय स्वास्थ्य सचिव राजेश भूषण ने कहा कि इस सिलसिले में गृहमंत्रालय ने दिल्ली सरकार से संपर्क साध लिया है और उपराज्यपाल की राज्य के अधिकारियों के साथ एक-दो बैठक भी हो सकती है। ध्यान देने की बात है कि जून में इसी तरह बड़ी संख्या में नए मामले आने के बाद भी केंद्र सरकार चौकस हुई थी। खुद अमित शाह ने भी राज्य सरकार के साथ बैठक की थी।
राजेश भूषण के अनुसार, दिल्ली देश के उन पांच राज्यों में शामिल है, जहां कोरोना के कारण सबसे अधिक मौतें हुई हैं। पूरे देश में हुई कुल मौतों का सात फीसद अकेले दिल्ली में हुई हैं। सबसे अधिक चिंता की बात यह है कि पिछले तीन हफ्ते के दौरान मौतों में 50 फीसद का इजाफा हुआ है। 13 से 19 अगस्त हफ्ते वाले सप्ताह में जहां 12 फीसद मौतें दर्ज की जा रही थी, वह 20 से 26 अगस्त वाले हफ्ते में बढ़कर 14 फीसद और 27 से दो सितंबर वाले हफ्ते में 18 फीसदी तक पहुंच गई। वहीं, इस दौरान दिल्ली में प्रतिदिन नए केस की संख्या भी दोगुनी से अधिक बढ़ बढ़ गई है।
स्वास्थ्य सचिव के अनुसार, केंद्र सरकार दिल्ली की स्थिति पर नजर रखे हुए हैं और हालात से निपटने के लिए आइसीएमआर और एम्स समेत सभी संस्थान सक्रिय हो गए हैं। वे दिल्ली सरकार को कोरोना को फैलने से रोकने के लिए उठाने जाने वाले कदमों के बारे में सलाह दे रहे हैं। इसके साथ ही राज्य सरकार को यह भी बताया जा रहा है कि उन्हें किन-किन गतिविधियों की अनुमति नहीं देने की जरूरत है। वैसे राजेश भूषण ने फिलहाल इस बारे में विस्तार से कुछ भी बताने से इनकार कर दिया।
बता दें कि कोरोना के कारण होने वाली कुल मौतों में 70 फीसदी पांच राज्यों आंध्रप्रदेश, कर्नाटक, महाराष्ट्र, तमिलनाडु और दिल्ली से आते हैं। इनमें केवल दो राज्यों कर्नाटक और दिल्ली में इसमें बढ़ोतरी देखी जा रही है। जबकि पिछले तीन हफ्ते में आंध्रप्रदेश में 4.5, तमिलनाडु में 18 और महाराष्ट्र में 11.5 फीसद की कमी देखी गई है। चिंता की बात है कि अनलॉक-चार में कंटेनमेंट जोन को छोड़कर पूरे देश में सभी गतिविधियों की इजाजत दे दी गई है। इसके अलावा जल्द त्योहारों का सीजन भी शुरू होने जा रहा है। ऐसे में लोगों का आपसी संपर्क बढ़ने निश्चित है।